बिबिया रेखाचित्र के आधार पर बिबिया के चरित्र की विशेषता बताa
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बिबिया ने गेहुएँ रंग के साथ यह विशेषता पाई थी। उस पर उसका हँसमुख स्वभाव उसे विशेष आकर्षण दे देता था। ... ऐसी आकृति के साथ जिस आलस्य या सुकुमारता की कल्पना की जाती है, उसका बिबिया में सर्वथा अभाव था।
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उत्तर:
बिबिया महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसमें उन्होंने एक बालिका बिबिया का दूर्भाग्यपूर्ण जीवन चित्रित किया गया है। उसके अल्हड़ व्यक्तित्व के साथ समाज ने जोहुई निष्ठुर खेल खेला जिसके कारण वह मृत्यु को प्राप्त हुई। महादेवी को बिबिया के जीवन ने बहुत अधिक प्रभावित किया था।अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के निशान, पैर का अस्वाभाविक लंगड़ापन देखकर अनुमान होता था कि उसका जीवन-पथ सुगम नहीं रहा।
:बिबिया के चरित्र की विशेषता:
बिबिया ने गेहुएँ रंग के साथ यह विशेषता पाई थी। उस पर उसका हँसमुख स्वभाव उसे विशेष आकर्षण दे देता था। ... ऐसी आकृति के साथ जिस आलस्य या सुकुमारता की कल्पना की जाती है, उसका बिबिया में सर्वथा अभाव था।सुडौल गठीले शरीर वाली बिबिया को धोबिन समझना कठिन था; पर थी वह धोबिनों में भी सबसे अभागी धोबिन।
ऐसी आकृति के साथ जिस आलस्य या सुकुमारता की कल्पना की जाती है, उसका बिबिया में सर्वथा अभाव था। वस्तुतः उसके समान परिश्रमी खोजना कठिन होगा। अपना ही नहीं, वह दूसरों का काम करके भी आनन्द का अनुभव करती थी।
बिबिया महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरणात्मक रेखाचित्र है। इसमें उन्होंने एक बालिका बिबिया का दूर्भाग्यपूर्ण जीवन चित्रित किया गया है। उसके अल्हड़ व्यक्तित्व के साथ समाज ने जोहुई निष्ठुर खेल खेला जिसके कारण वह मृत्यु को प्राप्त हुई। महादेवी को बिबिया के जीवन ने बहुत अधिक प्रभावित किया था।अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के निशान, पैर का अस्वाभाविक लंगड़ापन देखकर अनुमान होता था कि उसका जीवन-पथ सुगम नहीं रहा।
:बिबिया के चरित्र की विशेषता:
बिबिया ने गेहुएँ रंग के साथ यह विशेषता पाई थी। उस पर उसका हँसमुख स्वभाव उसे विशेष आकर्षण दे देता था। ... ऐसी आकृति के साथ जिस आलस्य या सुकुमारता की कल्पना की जाती है, उसका बिबिया में सर्वथा अभाव था।सुडौल गठीले शरीर वाली बिबिया को धोबिन समझना कठिन था; पर थी वह धोबिनों में भी सबसे अभागी धोबिन।
ऐसी आकृति के साथ जिस आलस्य या सुकुमारता की कल्पना की जाती है, उसका बिबिया में सर्वथा अभाव था। वस्तुतः उसके समान परिश्रमी खोजना कठिन होगा। अपना ही नहीं, वह दूसरों का काम करके भी आनन्द का अनुभव करती थी।
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