बूढ़ा भगत डॉक्टर चड्ढा केऔषधालय पर वकर्वलए गया था ? chapter मंत्र class 8
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संध्या का समय था. डॉक्टर चड्ढा गोल्फ खेलने के लिए तैयार हो रहे थे. मोटर द्वार के सामने खड़ी थी कि दो कहार एक डोली लिए आते दिखाई दिए. डोली के पीछे एक बूढ़ा लाठी टेकता चला आता था. डोली औषाधालय के सामने आकर रूक गई. बूढ़े ने धीरे-धीरे आकर द्वार पर पड़ी हुई चिक से झांका. ऐसी साफ-सुथरी जमीन पर पैर रखते हुए भय हो रहा था कि कोई घुड़क न बैठे. डॉक्टर साहब को खड़े देख कर भी उसे कुछ कहने का साहस न हुआ.
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संध्या का समय था। डाक्टर चड्ढा गोल्फ खेलने के लिए तैयार हो रहे थे। मोटर द्वार के सामने खड़ी थी कि दो कहार एक डोली लिये आते दिखायी दिये। डोली के पीछे एक बूढ़ा लाठी टेकता चला आता था। डोली औषाधालय के सामने आकर रूक गयी। बूढ़े ने धीरे-धीरे आकर द्वार पर पड़ी हुई चिक से झॉँका। ऐसी साफ-सुथरी जमीन पर पैर रखते हुए भय हो रहा था कि कोई घुड़क न बैठे। डाक्टर साहब को खड़े देख कर भी उसे कुछ कहने का साहस न हुआ।
डाक्टर साहब ने चिक के अंदर से गरज कर कहा—कौन है? क्या चाहता है?
डाक्टर साहब ने हाथ जोड़कर कहा— हुजूर बड़ा गरीब आदमी हूँ। मेरा लड़का कई दिन स.
डाक्टर साहब ने सिगार जला कर कहा—कल सबेरे आओ, कल सबेरे, हम इस वक्त मरीजों को नहीं देखते।
बूढ़े ने घुटने टेक कर जमीन पर सिर रख दिया और बोला—दुहाई है सरकार की, लड़का मर जायगा! हुजूर, चार दिन से ऑंखें नही.
डाक्टर चड्ढा ने कलाई पर नजर डाली। केवल दस मिनट समय और बाकी था। गोल्फ-स्टिक खूँटी से उतारने हुए बोले—कल सबेरे आओ, कल सबेरे; यह हमारे खेलने का समय है।
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