बृच्छ कबहुँ नहिं फल भखै नदी न संचै नीर।
परमारथ के कारने साधुन धरा सरीर।। (3)
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इसका अर्थ है कि पेड़ को अपने आप नदी का पानी नही मिल सकता अगर पानी ना दो तो पेड़ पे फ़ल नही होगे । आगे लिखा है प्र्मर्थ के कारने साधुन धरा सरीर । ये मुजे प्ता नही ।
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