बेचारे ने महीने भर में मूर्ति बनाकर भटकने का वादा कर दिया होगा ऐसा क्यों कहा होगा पाठ का नाम नेताजी का चश्मा
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मूर्तिकार द्वारा मूर्ति बनाकर पटक देने का भाव यह है कि मूर्ति में सूक्ष्म बारीकियों का ध्यान अधिक नहीं रखा गया था। उसे देखने से लगता है कि इस मूर्ति को बनानेवाला कलाकार बहुत उच्च दर्जे का नहीं था और इसे बनाने के लिए उसे पर्याप्त समय भी नहीं मिला होगा। बहुत जल्दबाजी में उसे काम पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि भी नहीं मिली होगी। किसी स्थानीय कलाकार ने ही उसे कम समय में तैयार करने का विश्वास दिलाया होगा। कम पूँजी एवं कम समय के कारण तथा उत्कृष्ट कलाकारिता के अभाव में बिना सूक्ष्म तथ्यों का ध्यान रखें, किसी तरह मूर्ति बनाकर वह अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया। ‘मूर्ति बनाकार पटक देने के पीछे यही भाव निहित है।
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