ब) 'छाँह मोटे को गहिए'- पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं ?
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कह गिरिधर कविराय छाँह मोटे की गहिए। पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए॥ भावार्थ- उपर्युक्त कुंडली में गिरिधर कविराय ने अनुभवी व्यक्ति की विशेषता बताई है। कवि के अनुसार हमें हमें सदैव मोटे और पुराने पेड़ों की छाया में आराम करना चाहिए क्योंकि उसके पत्ते झड़ जाने के बावज़ूद भी वह हमें शीतल छाया प्रदान करते हैं
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कह गिरिधर कविराय छाँह मोटे की गहिए। पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए॥ भावार्थ- उपर्युक्त कुंडली में गिरिधर कविराय ने अनुभवी व्यक्ति की विशेषता बताई है। कवि के अनुसार हमें हमें सदैव मोटे और पुराने पेड़ों की छाया में आराम करना चाहिए क्योंकि उसके पत्ते झड़ जाने के बावज़ूद भी वह हमें शीतल छाया प्रदान करते हैं।
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