बंगाल में स्वदेशी आंदोलन पर एक टिप्पणी लिखिए ।
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बंगाल विभाजन विरोधी आन्दोलन 7 अगस्त 1905 को शुरू हुआ। काग्रेंस के कलकत्ता अधिवेशन 1906 में स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा एंव स्वशासन से सम्बन्धित चार प्रस्ताव पेश किये गए।
बंगभंग के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन चलाया गया। बम्बई, मद्रास और उत्तर भारत में स्वदेशी अपनाने, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार एंव राष्ट्रीय शिक्षा के लिए आन्दोलन हुआ।
अनेक स्वयं सेवी संगठनों और जनसमितियों का गठन किया गया। विदेशी माल की दुकानों पर धरना दिया गया। विदेशी कपड़ो की होली जलाई गई।
विदेशी माल खरीदनें वालों का सामाजिक बहिष्कार किया गया। सरकारी अवैतनिक पदों एवं कौन्सिलो से इस्तीफा दिया गया।
स्वदेशी आन्दोलन की मुख्य विशेषता आत्मनिर्भरता थी। राष्ट्रवादी साहित्य और पत्रकारिता का विकास हुआ।सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करने जन जागृति का कार्य किया गया। अंग्रजों ने फूट डालने की कोशिश की।
इसी आन्दोलन के परिणामस्वरूप बंग भंग वापस लेना पड़ा था।
Bengal me swdasi andlon ka prabhave
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