बिहार की अतीत कविता
हाँ यह वही बिहार पाटली ग्राम है जहांँ का आचार्य चाणक्य प्रधान है
हाँ वही बिहार है जहां आकर आत्मसमर्पण कर दिया सिकंदर महान है
यह वही बिहार जहां स्वर्ण युग का प्रारंभ निर्माण है।।
हां यह वही बिहार है धर्म की चेतना का निर्माण है ।
यह वही बिहार है जहां बौद्ध धर्म अनुआई अशोक महान है।
दुनिया पूछता है उगता सूरज पर हम ढलते के पुजारी है।
यह वही बिहार है जहां जन्म लेते भारत मां के संतान है।
यह वही बिहार है विश्वामित्र जैसे ऋषि महान है।
हां यह वही बिहार जिस धरा से उत्पन्न होते हैं आईपीएस महान है।
हांँ यह वही बिहार है जहां से चाणक्य का अखंड भारत का निर्माण है।
हांँ वही बिहार है मातृभूमि पर सर कटाने वाले जवान है।
शारदा लोक शौली गायक सुर की पहचान हम ही तो हैं।
सहनाई जिस पर नाज करे बिस्मिल्लाह खान हम भी तो हैं।
एक पंथ में दो काज करने वाले, लेखक और प्रधानमंत्री,
डॉ राजेंद्र प्रसाद ही तो है।
दुनिया पूजती है उगता सूरज हम ढलते के पुजारी हैं।
हांँ हम धरती पुत्र बिहारी है।
यह वही बिहार पाटली ग्राम है जहांँ का आचार्य चाणक्य प्रधान है।
इसकी उतर देने की आवश्यकता नहीं यह एक कविता है आप जरूर पढे़✒️
:-लक्ष्मीकांत✒️
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Не знам, моля те, последвай ме.
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