बिहार के किस शहर में जूट उद्योग स्थापित है
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बिहार के पूर्णिया जिले मुख्य रूप जूट उद्योग स्थापित है।
पूर्णिया के अलावा बिहार के समस्तीपुर, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, गया आदि जिलों में भी जूट उद्योग स्थापित है।
भारत में जूट उद्योग के अधिकतर कारखाने पश्चिमी बंगाल, बिहार और आंध्र प्रदेश में स्थापित हैं। भारत में जूट उत्पादन के क्षेत्र में पश्चिमी बंगाल पहले स्थान पर है, उसके बाद बिहार का नंबर आता है। जूट उद्योग में भारत का विश्व में पहला स्थान है और भारत में विश्व के लगभग 50% जूट के सामानों का निर्माण किया जाता है।
जूट एक रेशेदार फसल होती है, जिससे रस्सी, बोरी, तिरपाल, तंबू, कागज, थैले, कपड़े आदि जैसे उपयोगी वस्तुएं बनती हैं।
जूट को ‘सोने वाला रेशा’ भी कहा जाता है।
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HELLO DEAR,
भारतीय अर्थव्यवस्था में जुटे उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है।19वीं शताब्दी तक यह उद्योग कुटीर एवं लघु उद्योगों के रूप से विकसित राज्यों के मामले में भारत का एकाधिकार था। विशेष रूप से कच्चा जो भारत से स्टॉकलैंड भेजा जाता था।जहां से डांट दूरियां बनाकर फिर विश्व के विभिन्न देशों में भेजी जाती थी, जो कि विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत थी।
भारत में जूट का प्रमुख कारखाना 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जाट आंदोलन में बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और 3 कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। झूठ के 112 कारखानों में से 102 कारखाने ही भारत विश्व में आए।
इसके कारखाने का भी बिहार में निम्न जगह पर है, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गया आदि जिलों में जूट का उद्योग आज भी स्थापित है।
सर्वप्रथम भारत में जूट के कारखाने पश्चिम बंगाल में लगाए गए थे। उसके बाद बिहार और आंध्र प्रदेश में स्थापित हुए।