Hindi, asked by mahendrainkiya, 7 months ago

बिहारी के काव्य का भाव एवं शिल्प सौंदर्य को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए​

Answers

Answered by bhatiamona
12

बिहारी के काव्य का भाव एवं शिल्प सौंदर्य को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए​

महाकवि बिहारीलाल का जन्म जन्म 1603 के लगभग ग्वालियर में हुआ। बिहारी मूलतः श्रृंगारी कवि हैं। उनकी भक्ति-भावना राधा-कृष्ण के प्रति है और वह जहां तहां ही प्रकट हुई है।

बिहारी सतसईश्रृंगार रस की अत्यंत प्रसिद्ध और अनूठी कृति है। इसका एक-एक दोहा हिंदी साहित्य का एक-एक अनमोल रत्न माना जाता है।

श्रंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में  प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|

उदाहरण

मैं समुझ्यौ निरधार, यह जग काँचो सौं ।

एकै रूप अपार, प्रतिबिंबित लखियतु जहाँ ।।

बिहारी कवि कहते हैं कि इस सत्य को मैंने जान लिया है कि यह संसार निराधार है। यह काँच के समान कच्चा है अर्थात मिथ्या है। यहाँ सब कुछ झूठ लोग जैसे दीखते है, वैसा कोई नहीं है| कृष्ण का सौन्दर्य अपार है जो सम्पूर्ण संसार में  प्रतिबिम्बित हो रहा है।

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►

https://brainly.in/question/16193937

बिहारी ने अपने दोहे में श्री कृष्ण की सुंदरता का वर्णन किस प्रकार किया है , स्पष्ट करें?

Similar questions