CBSE BOARD XII, asked by toklakpaloh, 1 month ago

बिहारी के दोहे में मनुष्य के व्यवहार पर धन कुप्रभाव को किस प्रकार अभिव्यक्ति किया गया है?​

Answers

Answered by sushantkumar25471
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Answer:

इस दोहे के अनुसार- बिहारी 'सतसई' के दोहे का प्रभाव 'नावक' से निकलने वाले तीर यानी कि काँटेदार बाण जैसी असरदार है, जो बाहर से देखने में तो छोटा दिखाई देता है परन्तु इसके चोट के घाव बहुत ही गहरे होते है। उसी तरह बिहारी के दोहे देखने में छोटे और सरल लगते हैं किन्तु इसके अर्थ का भाव बहुत ही गहरा होता है।

Answered by chaudharyvikramc39sl
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Answer with Explanation:

  • बिहारी के दोहे  के अनुसार :

                 कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय।

                        वा खाए बौराए जग, या देखे बौराए।।

  • दोहे का हिंदी मीनिंग:

यहाँ पर कनक से अभिप्राय स्वर्ण और भांग से है और भाव है की भांग (धतूरा) के नशे से भी अधिक नशा माया का होता है। माया का नशा होता है जिससे व्यक्ति नशे का शिकार हो कर अपने हित और अहित पर विचार नहीं कर सकता है। यह व्यक्ति को बावरा कर देता है और जीव अपने मूल उद्देश्य हरी सुमिरण को बिसार देता है। माया भ्रम पैदा करती है जिससे जीव हरी सुमिरण से विमुख हो जाता है।

  • बिहारी के दोहे में मनुष्य के व्यवहार पर धन कुप्रभाव :

बिहारी के दोहे में कवि कहता है कि धन में धतूरे से सौगुना अधिक नशा होता है, क्योंकि धतूरे के तो खाने से आदमी मदहोश होता है जबकि धन के मिलने पर उसकी स्थिति इससे भी बुरी हो जाती है, अर्थात् धन की मादकता इसलिए अधिक है क्योंकि उसका प्राप्त होना ही सिर चढ़कर बोलने लगता है, जबकि मादक द्रव्य तो सेवन करने पर ही

आदमी का सिर घूमाते है | अतः धन का नशा ओर सभी नशों से अधिक खतरनाक होता है।

#SPJ2

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