बिहारी ने अपनी भव-बाधा को हरने के लिए किससे विनती की है और क्यों ?
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Explanation:
ये सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो
लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:
मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।
भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।
जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला
ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग
अर्थ होता है।
जैसे-हिंदी में जल या पानी कहेंगे तो अंग्रेज़ी में वॉटर।
हर भाषा में कहे गए ध्वनि-संकेत अलग-अलग अर्थ रखते हैं।
भाषा के दो रूप होते हैं-
मौखिक (Oral
for Written
मौखिक
जब हम अपने मन के विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तो उसे मौखिक भाषा कहते है।
बिहारी ने अपनी बाधा को हरने के लिए श्री कृष्ण से विनती की क्योंकि वे सबके दुख दूर करते है। सबकी बाधा दूर करते है।
- बिहारी जी अपने दोहे में कहते है कि मेरी बाधा हरो। बिहारी जी श्री कृढ़ मर साथ विराजमान होने वाली राधिका जी की स्तुति करते हैं। राधिका जी श्रृंगार की अधिष्ठात्री देवी हैं।
- वे कहते है कि राधा के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे रंग के लगते है।
- इस दोहे में वे दूसरा अर्थ बताते हुए कहते है कि राधा की छाया पड़ने से श्री कृष्ण हरित अर्थात प्रसन्न हो गए है।
- बिहारी जी हिंदी के रितिकाल के महान कवि थे। अपनी प्रमुख रचना सतसई के नाम से वे जाने जाते थे। उनका जन्म ग्वालियर में सन 1603 में हुआ। उनके पिताजी का नाम था केशव राय।
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