बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भरा है"। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए
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➲ कवि बिहारी ने बेहद कम शब्दों में बड़ी बात कह दी है, यानि उन्होंने गागर में सागर भरने का काम किया है। उनके दोहे भाव से भरे होते है, और बात की गंभीरता को सरल शब्दों में व्यक्त कर जाते हैं। उनके मन की गहराई को तो छूते ही हैं, एक सार्थक संदेश भी दे जाते हैं। उन्होंने अपने दोहों में ब्रजभाषा का सुंदरतम प्रयोग किया है।
सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर।
देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर।।
भावार्थ : कवि बिहारी कहते हैं कि उनकी रचना सतसई के दोहे देखने में भले ही छोटे हों, लेकिन वह बहुत बड़ी बात कह जाते हैं। जैसे नावक का तीर जो बहुत छोटा होता है लेकिन वह घाव बड़े गंभीर कर देता है। इसी प्रकार उनकी सतसई के दोहे भले ही छोटे हैं, लेकिन उनमें अपार ज्ञान समाया हुआ है अर्थात वह गागर में सागर की तरह हैं।
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Answer:
हिन्दी साहित्य के चारो युगो आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल में से रीतिकाल के कवि और साहित्यकार आत्मभाव से साहित्य रचना में प्रवृत्ति होते थे। आत्मपरिचय की तरफ इन कवियों की रूचि नगण्य थी। यही कारण है कि तत्कालीन कवियों और लेखकों का जीव नवृत प्राय अज्ञात रहा है। यद्यपि विभिन्न साहित्यकारों की रचनाओं में उनके संबंध में कुछ अस्पष्ट संकेत मिल जाते है, किन्तु वे इतने अपर्यापत, अप्रमाणित और संदिग्ध है कि उनके आधार पर ठोस तथ्यों की उपलब्धि की सम्भावना नहीं की जा सकती है। कवि बिहारी के काल-निर्धारण के संबंध में भी यही कठिनाई उपस्थित होती है। उनके कुछ दोहों से उनके जीवन की कतिपय घटनाओं का धुधला सा आभास होता है।
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