बिहारी ने ग्रीष्म-ऋतु की तुलना किस्से की है? प्राणियों पेर उसका क्या प्रभाव पड़ता है?
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ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड का से पूरा जंगल तपोबन बन गया है इस मुसीबत की घड़ी में सब जानवरों की दुश्मनी खत्म हो गई है सांप हिरण और शेर गर्मी से बचने के लिए मिलजुल कर रहने लगे हैं कवि ने शिक्षा दिए कि हमें भी विपत्ति की घड़ी में मिलकर उससे निपटाना चाहिए
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बिहारी जी के अनुसार गर्मी की ऋतु में बड़ी भंयकर गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी के भंयकर ताप ने समस्त संसार को तपोवन के समान बना दिया है। जिसके प्रभाव से शत्रु-भाव रखने वाले पशु-पक्षी जैसे साँप-मोर, हिरण और बाघ एक साथ रह रहे हैं।
दूसरे दोहे में बिहारी जी कहते हैं जेठ मास (ग्रीष्म ऋतु) की दुपहरी अत्यन्त गर्म हो रही है। इसलिए आराम के लिए कहीं भी छाया नहीं मिल रही है। अर्थात् गर्मी से परेशान होकर सभी प्राणी ही नहीं बल्कि छाया भी विश्राम करने के लिए चली गई है।
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