बिहारी ने `कनक–कनक’में क्या अंतर बताया है
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बिहारी जी ने कनक - कनक में निम्नलिखित अंतर बताया है।
- बिहारी जी ने कनक के दो अर्थ बताए है।
- कनक का एक अर्थ होता है सोना तथा कनक का दूसरा अर्थ है धतुरा।
- बिहारी जी कनक के दो अर्थों में अंतर बताते हुए कहते है कि धतुरा खाने से लोगों में मादकता छा जाती है, लोग इसे खाते ही पागल हो जाते है।
- कनक के दूसरे अर्थ सोने के बारे में बिहारी जी कहते है कि सोने का नशा धतूरे के नशे से बहुत अधिक होता है।
- सोना पाते ही लोग पागल हो जाते है उनमें सोना देखते ही मादकता छा जाती है।
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➲ बिहारी ने कनक कनक में यह अंतर बताया है कि एक कनक को बिहारी ने सोने का प्रतीक बनाया है और दूसरे कनक को उन्होंने धतूरे का प्रतीक बनाया है।
कनक सोने को भी कहते हैं और कनक धतूरे को भी कहते हैं। इसलिए बिहारी ने यहाँ पर कनक को दोनों अर्थों में प्रस्तुत किया है। उनके अनुसारकनक यानी सोना, कनक यानी धतूरे से अधिक नशीला है। क्योंकि धतूरे को तो केवल खाने से ही नशा होता है लेकिन सोने को तो पहनने या मिल जाने से ही नशा हो जाता है।
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