Hindi, asked by poojadhari4813, 11 months ago

बिहारी सतसई की रचना में किस भाषा और छंद का प्रयोग हुआ है?

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Answered by shishir303
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‘बिहारी सतसई’ की रचना ‘ब्रज भाषा’ में की गई है और इसमें ‘दोहा’ छंद का प्रयोग किया गया है।

‘बिहारी सतसई’ बिहारी की एकमात्र रचना है, जिसमें लगभग 719 दोहे संकलित किए गए हैं। यह एक मुक्तक काव्य है। ‘बिहारी सतसई’ श्रंगार रस की एक अनूठी साहित्यिक कृति हैय़ इसमें एक से एक बढ़कर अनमोल दोहों का संकलन हुआ है।

बिहारी रीतिकाल के एक प्रमुख श्रृंगारी कवि रहे हैं। उनकी कविता का मुख्य आधार श्रृंगार होता था। उन्होंने श्रंगार के संयोग और वियोग दोनों ही पक्षों का बड़ी ही सुंदरता से चित्रण किया है। उन्होंने राधा और कृष्ण के प्रेम को भक्ति भावना के चश्मे से देखने का प्रयत्न किया है।

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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—

जगतु जनायौ जिहिं सकलु, सो हरि जान्यौ नाँहि ।

ज्यौं आँखिनु सबु देखिये, आँखि न देखी जाँहि ।।

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बिहारी के दोहों की भाषागत विशेषता लिखिए

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