बिहारी सतसई लेखकों की परंपरा में बेजोड़ है जिसे तड़का उदाहरण से पोस्ट कीजिए
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सतसई, मुक्तक काव्य की एक विशिष्ट विधा है। इसके अंतर्गत कविगण 700 या 700 से अधिक दोहे लिखकर एक ग्रंथ के रूप में संकलित करते रहे हैं। "सतसई" शब्द "सत" और "सई" से बना है, "सत" का अर्थ सात और सई का अर्थ "सौ" है। इस प्रकार सतसई काव्य वह काव्य है जिसमें सात सौ छंद होते हैं। बिहारी सतसई में एक मात्र ‘रोला’ छंद का प्रयोग किया गया है।
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