Physics, asked by mishrasarika119, 4 months ago

बाहर भीतर एकै जानौ, यह गुरु ज्ञान बताई।
जन नानक बिना आपा चीन्हे, मिटै न भ्रम की काई।।​

Answers

Answered by gunjanpawar
10

जो कुछ  भी वाहरी जगत में देखते हैं, जो आनंद हमें भोतिक जगत में प्राप्त होता है उसका वास्तविक रूप तो हमारे ही आंतरिक जगत में छिपा हुआ है | परन्तु यह हमें गुरु से ज्ञान प्राप्ति के पछ्चात ही पता चलता है | जब  तक हम स्वयं को नहीं पहचानते के हम कौन हैं ? हमारा वास्तविक स्वरूप  क्या है ? तब  तक हमारे संशयों  का नाश नहीं हो सकता | परन्तु यह सब  गुरु के बिना संभव नहीं |

Similar questions