बाहरी जी के दोहे का भाव अपने शब्दों में लिखिए
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मेरी भाव-बाधा हरौ,राधा नागरि सोइ। जां तन की झांई परै, स्यामु हरित-दुति होइ।। भाव:- कवि बिहारी अपने ग्रंथ के सफल समापन के लिए राधा जी की स्तुति करते हुए कहते हैं कि मेरी सांसारिक बाधाएँ वही चतुर राधा दूर करेंगी जिनके शरीर की छाया पड़ते ही साँवले कृष्ण हरे रंग के प्रकाश वाले हो जाते हैं।
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