Hindi, asked by manasvibhawke, 3 months ago

बाहर के खाद्य पदार्थ व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक इस विषय के बारे में माता पुत्र के बीच संवाद
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Answered by shivamyadav1123
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Answer:

विद्वानों ने ठीक कहा है ''स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ मन बसा करता है।'' जब शरीर स्वस्थ रहता है तो हम स्वस्थ्य योजना की कल्पना करते हैं तथा इसे कार्यरूप देते हैं किन्तु शरीर जब स्वस्थ नहीं है तो अर्जित भोग की वस्तुए भी धरी रह जाती है। हम लोगों को भोग करते तो देखते हैं किन्तु भोग नहीं कर पाते।

जीवन जीने के लिये समुचित मात्रा में शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है। किन्तु स्वस्थ जीवन जीने के लिये, शुद्ध पेयजल तथा संतुलित आहार की जरुरत होती है।

झारखंड में लगभग 78 प्रतिशत आबादी ग्रामों में रहती है, जहाँ आधुनिक सुविधाएँ शहरी क्षेत्र की तुलना में नगण्य है। यदि उपलब्ध हो भी जाएँ तो भी उनका भोग करने के लिए उतने पैसे नहीं है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या घटने के बजाए बढ़ रही है। ऐसे में कुपोषण, रक्त अल्पता (एनेमिया), अंधापन तथा आँख के अन्य रोग, घेंघा जैसे पोषाहार की कमी से जनित रोग बढ़ रहें हैं। काजु, अंगुर, अनार, संतरा, सेव, नाशपाति जैसे पोशाहार युक्त फल उनके पहुँच से बाहर है।

Explanation:

Answered by Talentedgirl1
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Answer:

माँ- रिया हमें बाहर का खाना ज़्यादा नहीं खाना चाहिए।

रिया- लेकिन मम्मी मुझे बाहर का खाना पसंद है और इस लॉकडाउन में मैं घर का खाना खाकर पूरी तरह से बोर हो गई हूं।

माँ- हाँ रिया मैं भी हूँ पर तुम्हें कंट्रोल करने की ज़रूरत है आप जानते हैं कि कोरोना के कारण हमें एहतियात रखना होगा।

रिया- ठीक है मम्मी, मैं आपकी बात मानूंगी…

उम्मीद है इससे आपको मदद मिलेगी

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