बेजुबान का शब्द लेखक ने किसके लिए प्रयोग किया और क्यों किया है
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बेजुबान शब्द का प्रयोग लेखक ने किसके लिए किया है और क्यों
बेजुबान शब्द का प्रयोग लेखक ने आदिवासियों लिए किया है क्योंकि वे लोग गूंगे नहीं है परन्तु किसी से कुछ भी कहना नहीं चाहते।
- बेजुबान ब्रह्मदेव शर्मा जी की कृति है । इस
पाठ के द्वारा उन्होंने आदिवासी लोगो की दशा
का वर्णन किया है।
- लेखक के अनुसार आदिवासी लोग बेजुबान
है, जिसका अर्थ यह नहीं कि वे गूंगे है परन्तु
उन्हें बेजुबान इसलिए कहा गया है क्योंकि वे न
अपनी व्यथा कहना चाहते है न ही शहरी लोगों
से कुछ कहना चाहते है।
- लेखक के अनुसार आदिवासियों को यह डर
रहता है कि उनके कुछ कहने से कोई नाराज़ न
हो जाए। आदिवासियों को लगता है कि शहर
के लोग उनकी बातें सुनकर उन पर हंस देंगे।
आदिवासी कहते है कि हम अपने जंगल में ही
भले है, हमारे घर नहीं है, जंगल में बिजली नहीं
है, विकास के साधन नहीं है , संचार के साधन
नहीं है फिर भी हम अपनी धरती मां पर खुशी
से रहते है। इन कारणों के कारण उन्हें बेजुबान
कहा गया है।