Hindi, asked by 8n009scs, 12 days ago

बुजुर्गों के प्रति सम्मान speaking topic​

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Answered by arnabdutta63
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बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा के लिए गांधीवादी चिंतक डॉ रजी अहमद पुरानी परंपराओं के पतन को जिम्मेदार मानते हैं. उनके अनुसार बेटी एवं बहू में फर्क करने की पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवस्था भी इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है.

भारतीय समाज में बुजुर्गों का हमेशा एक सम्मानीय स्थान रहा है. एक मार्गदर्शक और पारिवारिक मुखिया होने के नाते जो सम्मान बुजुर्गों को मिलता था, उसमे धीरे धीरे कमी आ रही है. उनके अनुभव को अमूल्य पूंजी समझने वाला समाज अब इनके प्रति बुरा बर्ताव भी करने लगा है. हेल्पेज इंडिया के एक सर्वे में इसी तरह की बातें सामने आयीं हैं.

बुजुर्गों की शिकायत

इस साल के 'वर्ल्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे' के अवसर पर हेल्पेज इंडिया ने बुजुर्गों की स्थिति पर एक सर्वे किया है, जिससे पता चलता है कि भारत में भी बुजर्गों के साथ बहुत शर्मनाक व्यवहार होने लगा है. खुद बुजुर्गों ने उपेक्षा और बुरे व्यवहार की शिकायत की है. यह अध्ययन देश के 19 छोटे बड़े शहरों में साढ़े चार हजार से अधिक बुजुर्गों पर किया गया है.

जिन बुजुर्गों को सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 44 फीसदी लोगों का कहना था कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता है. बेंगलूरू, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई और चेन्नई ऐसे शहर पाये गये, जहां सार्वजनिक स्थानों पर बुजुर्गों से सबसे बुरा बर्ताव होता है. सर्वे में शामिल बेंगलूरू के 70 फीसदी बुजर्गों ने बताया कि उनको सार्वजनिक स्थान पर बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है. हैदराबाद में यह आंकड़ा 60 फीसदी, गुवाहाटी में 59 फीसदी और कोलकाता में 52 फीसदी है. बुजुर्गों के सम्मान के मामले में दिल्ली सबसे आगे दिखी, जहां सिर्फ 23 फीसदी बुजुर्गों को सार्वजनिक स्थान पर बुरे व्यवहार का

तिरस्कार, वित्तीय परेशानी के आलावा बुजुर्गों को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. सर्वे में शामिल 53 फीसदी बुजुर्गों का मानना है कि समाज उनके साथ भेदभाव करता है. अस्पताल, बस अड्डों, बसों, बिल भरने के दौरान और बाजार में भी बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले सामने आते हैं. खासतौर पर अस्पतालों में बुजुर्गों को भेदभाव या बुरे बर्ताव का अधिक सामना करना पड़ता है.

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों का व्यवहार बुजुर्गों के साथ सबसे बुरा होता है. यहां 26 फीसदी बुजुर्गों को बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा है. इसके बाद 22 फीसदी के साथ बेंगलूरू का नंबर आता है. 12 फीसदी बुजुर्गों को उस वक्त लोगों की कड़वी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ती है, जब वे लाइन में पहले खड़े होकर अपने बिल भर रहे होते हैं.

कारण

जीवन की भागदौड़ में बुजुर्गों की उपेक्षा लगातार बढ़ती जा रही है. भारत में संयुक्त परिवार व्यवस्था का चरमराना बुजुर्गों के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है. सर्वे में शामिल 64 फीसदी बुजुर्गों का मानना है कि उम्र या सुस्त होने की वजह से लोग उनसे रुखेपन से बात करते हैं. मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला का कहना है कि बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार के मुख्य कारणों में समय का अभाव और एकल परिवार है. सर्वेक्षण रिपोर्ट 'भारतीय समाज अपने बुजुर्गों के साथ कैसे व्यवहार करता है', को जारी करने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि भावनात्मक कमी को पूरा करने युवा समय नहीं निकालते. गांधीवादी चिंतक डॉ रजी अहमद बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा के लिए पुरानी परंपराओं के पतन को जिम्मेदार मानते हैं. उनके अनुसार बेटी एवं बहू में फर्क करने की पारिवारिक एवं सामाजिक व्यवस्था भी इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है.

उपयोगी हैं बुजुर्ग

समाजशास्त्री डॉ साहेबलाल कहते हैं कि बाजारवाद और उदारीकरण के बाद बदले हुए समाज में बुजुर्गों का सम्मान गिरा है. उपभोक्ता समाज में बुजुर्ग "खोटा सिक्का” समझे जाने लगे हैं. वे मानते हैं कि आपसी सामंजस्य हो तो आज भी बुजुर्ग परिवार और समाज के लिए काफी उपयोगी हैं. अन्य सर्वे भी इस तथ्य की ओर संकेत करते हैं कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में बुजुर्गों की स्थिति उतनी खराब नहीं है. सेवानिवृत न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद मानते हैं कि बुजुर्गों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलने के लिए बुजुर्गों और आज की युवा पीढ़ी को एक साथ मिल कर और आपस में सहयोग बढ़ा कर करना होगा. उनके अनुसार इससे बुजुर्गों और युवाओं, दोनों को ही लाभ होगा.

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