Hindi, asked by kirandevverma0012, 5 months ago

बाजार में एक जादू हैं। वह जाद् आँख की राह काम करता है। वह रूप का जादू है। पर जैसे चुम्बक का जादू
लोहे पर चलता है वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत में जा का
असर खूब होता है। जेब खाली हो पर मन भरा न हो तो भी जा चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की
अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुंच जाएगा। कही हुई उस वक्त जेब भरी तब तो फिर वह मन किसकी
मानने वाला है।
(क) बाजार में कौन सा जादू है?
(ख) लेखक ने बाजार के जादू की तुलना किससे की है और क्यों?
(ग) मन कब हमारी बात नहीं मानता?
(घ) बाजार का जादू कब और कैसा चलता है?
अथवा
देश में कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासो से कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से
ये पानी दिलवा सकते है तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं मांग लेते? क्यों मुहल्ले-भर का पानी नष्ट करवाते
घूमते है? नहीं, यह सब पाखंड है, अन्धविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासो के कारण हम अंग्रेजो से पिछड़ गए और
गुलाम बन गए।
(क) इस गदयाश में लेखक किसके प्रति व्यंग करता है और क्यो?
(ख) इंद्र की सेना क्या कार्य करती है?
(ग) लेखक ने यहाँ कौन-से अंधविश्वासो की ओर संकेत किया है?
(घ) हम अंग्रेजो से क्यों पिछड़ गए है?
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Answers

Answered by sunilpatel17061706
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Explanation:

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Answered by surajaprajapati05
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