Hindi, asked by ruksanasayyed15, 4 months ago

बाजार में खरीदी का अपना अनुभव लिखिए​

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Answered by ItzMissKomal
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Answer:

बाजार हमारा निकटवर्ती सार्वजनिक स्थान है । यह हमारे पड़ोस में स्थित व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र होता है । यहाँ व्यापारियों और ग्राहकों का जमावड़ा होता है । यहाँ से लोग अपने दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएँ खरीदते हैं । बाजार लोगों की आवश्यकता की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

बाजार शहरों, कस्बों और गाँवों में भी होते हैं । शहरों में स्थायी बाजार होते हैं । यहाँ साप्ताहिक बाजार भी लगते हैं । कस्बों और गाँवों के बाजार प्राय: अस्थायी होते

हैं । यहाँ के बाजार सप्ताह में एक या दो दिन लगा करते हैं । यहाँ अपराह्‌न लगने वाले बाजार सायंकाल तक समाप्त हो जाते हैं । शहरों के स्थायी बाजार सुबह से शाम तक सप्ताह के छह दिनों तक खुले होते हैं । ये बाजार सजे- धजे तथा सभी प्रकार की आवश्यक वस्तुओं से सज्जित होते हैं । यदि महानगरों के बाजार देखें तो यहाँ और भी रौनक रहती है । इनकी सजावट देखते ही बनती है ।

बाजार में सब कुछ बिकता है । सब्जियाँ, कपड़े, अनाज, फल, रसोई की अन्य चीजें, घरेलू आवश्यकता की वस्तुएँ, स्टेशनरी की चीजें, गहने आदि यहाँ उपलब्ध होते हैं । यहाँ घड़ियाँ, टेलीविजन सेट, रेडियो, फर्नीचर, कृषि यंत्र, सजावटी वस्तुएँ, खिलौने, मोबाइल फोन, बिजली के सामान, मिठाइयाँ, नमकीन तथा खाने-पीने की सभी चीजें मौजूद होती हैं । बड़े बाजारों में साइकिल, स्कूटर, मोटर साइकिल, कार आदि वाहन भी बिकते हैं । जिसे जो चाहिए, खरीद ले । एक पसंद न हो तो दूसरी खरीद ले । कपड़ों, जूतों की दस दुकानें हैं, मिठाइयों की भी अनेक दुकानें हैं । कतारों में फलों और सब्जियों की दुकानें हैं ।

Answered by tushargupta0691
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उत्तर:

बाजार में, मैंने उन महिलाओं को देखा जो देर से आने के कारण जल्दी-जल्दी जा रही थीं। कुछ लोग सौदेबाजी कर रहे थे, जबकि अन्य सिर्फ चीजों को देख रहे थे और आगे बढ़ रहे थे। बहुत सी फैंसी चीजें थीं जो मुझे आकर्षित कर रही थीं। मैं अपनी मां के आने का इंतजार कर रहा था। जल्द ही वह हाथों में कुछ और बैग लेकर आई। मैंने उसे उन चीजों के बारे में बताया जो मैं खरीदना चाहता था।

फिर हम दूसरी गली में चले गए। वहां से हमने दिवाली पर अपने परिवार और दोस्तों को देने के लिए कुछ उपहार खरीदे। फिर हम उस गली में आ गए जो खाने-पीने की दुकानों से भरी हुई थी। हमारे पास कुछ नाश्ता और ताजा जूस था। इससे हम तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं। हम फिर सजावटी सामान बेचने वाली अन्य दुकानों को देखने गए। हमने तरह-तरह के दीये और बत्तियाँ, कृत्रिम फूल और बहुत सी अन्य चीज़ें ख़रीदीं।

जैसे ही हम लगभग सारी खरीदारी कर चुके थे, हम अपनी कार की ओर चलने लगे। रास्ते में भी मेरी मां छोटी-छोटी चीजें खरीदती रहीं जो उन्हें पसंद थीं। हमारे पास इतने बैग थे कि हम उन सभी को एक साथ नहीं रख सकते थे। हमने बैग कार में रखे और घर वापस जाने लगे। ट्रैफिक जाम में फंसने के कारण हमें बाजार से बाहर निकलने में काफी समय लगा। मैं और मेरी माँ पूरी तरह से थक चुके थे। घर पहुंचकर हमने राहत की सांस ली।

#SPJ2

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