बाजार मे लेडीज सूटो की सिलाई के लिए दजी की दुकान खुली है सलीम लेडीज टेलसं विक्षापन तैयार कीजिए
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जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: नया बाजार की दर्जी गली में सिलाई मशीनों का शोर रमजान के दिनों में बढ़ जाता है। शहर के सबसे पुराने इलाकों में से एक इस गली में दर्जियों की तकरीबन 25-30 दुकानें हुआ करती थी, लेकिन रेडीमेड का चलन बढ़ने के बाद यहां के कुछ दुकानदारों ने अपना व्यवसाय बदल लिया। सालभर दर्जियों के पास कपड़े सिलाई का इतना काम नहीं होता जितना रमजान के दिनों चल रहा है। आलम यह है कि आजकल देर रात तक दर्जी गली में सिलाई करने वाले कारीगर व्यस्त हैं।
इस गली में 68 साल के मुख्तार अहमद सबसे उम्रदराज दर्जी है। बड़े फर्क से बताते हैं कि लोग उन्हें चुन्ना मास्टर्स कहते हैं। मुख्तार नाम से तो शायद कोई जानता भी नहीं होगा। रमजान के दिनों में कामकाज के साथ रोजा भी रखते हैं और पांच वक्त की नमाज के अलावा तराबी की नमाज भी पढ़ते हैं। बताते है कि अभी रमजान के दस दिन बीते हैं। सत्तर जोड़ी कुर्ता-पायजामा तैयार कर चुका हूं। अभी अलविदा जुमा तक 70-75 नमाजी कुर्ते-पायजामे और तैयार करने हैं। कपड़ों पर कैंची चलाते और सिलाई करते-करते रात के 12 कब बज जाते हैं पता नहीं चलता। सांस लेने की भी फुर्सत नहीं। बताते हैं कि पहले लोग ढीले-ढाले कपड़े सिलवाते थे, लेकिन अब फिटिंग का जमाना आ गया है।
वक्त के साथ फैशन बदल रहा है। उनके साथ उनका बेटा काम में हाथ बंटाता है। चुन्ना मास्टर की दुकान से कुछ कदम की दूरी पर लेडीज टेलर इश्तखार हुसैन गले में फीता लटकाए तेजी से कपड़े पर कैंची चला रहे हैं। कहते हैं आजकल काम कुछ बढ़ गया है। 15वें रोजे के बाद तो बिल्कुल भी फुर्सत नहीं होगी। रेडीमेड का चलन बढ़ने के बाद तो इस काम को करने वाले कारीगर मिलना भी मुश्किल हो गया है। रोजाना बमुश्किल दस से पंद्रह लेडीज सूट तैयार हो पा रहे हैं। नया बाजार से लगती दर्जी गली के मुहाने पर ही नसीम अहमद की कपड़ों की दुकान है। आमतौर पर रात के आठ-नौ बजे दुकान बढ़ाकर (बंद करके) घर जाने वाले नसीम रमजान के दिनों में रात के डेढ़-दो बजे तक दुकान पर बैठते हैं। उन्होंने बताया कि वह केवल कपड़ा बेचने का काम करते हैं। सिलाई का काम गली के अन्य दर्जियों को देते हैं।
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