बाजारूपन अथवा कपट से क्या तात्पर्य है
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बाज़ारूपन से तात्पर्य है कि बाजार की चकाचौंध में खो जाना। केवल बाजार पर ही निर्भर रहना। वे व्यक्ति ऐसे बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं जो हर वह सामान खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत भी नहीं होती। वे फिजूल में सामान खरीदते रहते हैं अर्थात् वे अपना धन और समय नष्ट करते हैं। लेखक कहता है कि बाजार की सार्थकता तो केवल ज़रूरत का सामान खरीदने में ही है तभी हमें लाभ होगा।
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