बीजक को परिभाषित कीजिए ।
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बीजक भगत कबीर की मुख्य प्रामाणिक कृति है, इस कृति को कबीर पंथ की पवित्र पुस्तक मानी जाती है। मसि कागद छुवों नहीं, कलम गहों नहिं हाथ (साखी १८७) इसको पढ़ कर कितने लोग इस भ्रम में पड़ जाते हैं कि कबीर साहेब ने तो कलम-कागज छुआ ही नहीं। अतः बीजक उनकी रचना नहीं, किन्तु परिवर्तियों की है। परन्तु यह धारणा सर्वथा भ्रमपूर्ण है। उन्होंने यदि 'मसि-कागद' नहीं छुआ तो मुख से तो जनाया | अर्थात आप समय-समय पर बीजक के पद्ध मुख से कहते गये और उनको शिश्यजन लिपिबद्ध करते गये। अपनी प्रिय पुस्तक का 'बीजक' नाम आप स्वयं रखे हैं, इसी प्रकार ग्यारहों प्रकरणों के नामकरण भी आप ही द्वारा हुए हैं।
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बीजक भगत कबीर की मुख्य प्रामाणिक कृति है, इस कृति को कबीर पंथ की पवित्र पुस्तक मानी जाती है। मसि कागद छुवों नहीं, कलम गहों नहिं हाथ (साखी १८७) इसको पढ़ कर कितने लोग इस भ्रम में पड़ जाते हैं कि कबीर साहेब ने तो कलम-कागज छुआ ही नहीं। अतः बीजक उनकी रचना नहीं, किन्तु परिवर्तियों की है। परन्तु यह धारणा सर्वथा भ्रमपूर्ण है। उन्होंने यदि 'मसि-कागद' नहीं छुआ तो मुख से तो जनाया | अर्थात आप समय-समय पर बीजक के पद्ध मुख से कहते गये और उनको शिश्यजन लिपिबद्ध करते गये। अपनी प्रिय पुस्तक का 'बीजक' नाम आप स्वयं रखे हैं, इसी प्रकार ग्यारहों प्रकरणों के नामकरण भी आप ही द्वारा हुए हैं।