Science, asked by singhgurlal242, 6 months ago

बिजली के automatic cut off के ललए ...... guard का प्रयोग ककया जाता​

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Answered by akbarhussain26
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भारत में कई स्थानों में वोल्टेज उतार-चढ़ाव, एक सामान्य सी घटना होती है| कोई आश्चर्य नहीं की हमे बिजली बचाओ पर अक्सर इस विषय पर इतने सारे सवाल प्रायः पूछे जातें हैं| संदर्भ के लिए पाठक हमारे लेख वोल्टेज स्टेबलाइजर्स : कार्य, आकार नियंत्रण और बिजली की खपत पर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं| सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है की वोल्टेज के उतार चढ़ाव उपकरणों को काफी नुकसान पहुँचा सकते है। परन्तु, लोग शायद ही बिजली की खपत पर वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के प्रभाव पर विचार करते हैं| इस लेख में हम न केवल उपकरणों पर वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के प्रभाव की चर्चा करेंगे, बल्कि विभिन्न उपकरणों की बिजली की खपत पर इसके पड़ते प्रभाव के बारे में भी आपको महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का एक सार्थक प्रयास करेंगे|

भारत में इनपुट वोल्टेज के मानक

भारत में, बिजली का मानक वितरण चरणबद्ध तरीके से होता हैं| एकल चरण (सिंगल-फेज) में बिजली वितरण 230 वोल्ट में किया जाता है और तीन चरण कनेक्शन के लिए यह 415 वोल्ट होता है। तीन चरण कनेक्शन में वितरण 3 लाइनों या भागो में बांटा जाता हैं, प्रत्येक 230 वोल्ट का होता हैं| भारत में बिकने वाली सभी उपकरण अमूनन 220-240 रेंज वोल्ट के होते हैं| इस रेंज से कम और उच्च वोल्टेज पर उपकरण को सही तरीके से कार्य करने के लिए सुधार की आवश्यकता पड़ती हैं, तकनीकी भाषा में इसे ‘करेक्शन’ कहा जाता हैं| भारत में कई स्थानों पर वोल्टेज नियमित आधार पर 150-160 वोल्ट तक नीचे गिरता हैं, अतः सुधार की आवश्यकता अधिक रहती हैं|

उपकरणों दो प्रकार के होते हैं

विभिन्न प्रकार के उपकरण वोल्टेज के उतार-चढ़ाव पर अलग-अलग व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं| वोल्टेज स्टेबलाइजर उपकरणों दो प्रकार के होते हैं – 1. मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) 2. मोटर के साथ (इंडक्टिव लोड आधारित)

मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) उपकरणों के अंतर्गत निम्नलिखित उपकरण आतें हैं:

लुमिनेरे जैसे बल्ब, ट्यूब लाइट, सीएफएल

हीटर जैसे पानी और कमरे के हीटर

इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जैसे टीवी म्यूजिक सिस्टम, डीवीडी, होम थिएटर, लैपटॉप, फोन, आदि

मोटर के साथ उपकरणों के अंतर्गत निम्नलिखित उपकरण आतें हैं:

एयर कंडीशनर

रेफ्रिजरेटर

छत पंखे

मिक्सर ग्राइंडर

पंप्स

वाशिंग मशीन

मोटर के बिना (रेसिस्टिव लोड आधारित) उपकरण और वोल्टेज के उतार-चढ़ाव के अनुसार उनका व्यवहार प्रदर्शन

प्रकाश उपकरण जैसे की बल्ब, ट्यूब लाइट, सीएफएल इत्यादि और हीटर जैसे की कमरे और पानी के हीटर, इन उपकरणों को वोल्टेज स्टेबलाइजर्स की जरूरत नहीं पड़ती है। जब वोल्टेज कम होता हैं, तब करंट भी उनके अंदर कम प्रवाहित होता हैं और विपरीत परिस्तिथि में इसका उल्टा ही होता हैं| इसलिए अगर वोल्टेज कम होता हैं, तब इन उपकरणों का आउटपुट (उत्पादन) भी कम हो जाता हैं| जैसे बल्ब कम रोशनी देंगे, रूम हीटर कम गर्मी प्रदान करेंगे, वॉटर हीटर भी धीरे-धीरे पानी को गर्म करेंगे, इत्यादि| जैसे बल्ब कम रोशनी देंगे, प्रकाश बल्ब के द्वारा बिजली की खपत भी कम होगी| वास्तव में, कई नगर पालिका कम मांग के समय पर ‘स्ट्रीट लाइट’ की वोल्टेज को कम कर देती हैं, इस कारण ‘स्ट्रीट बल्ब’ के द्वारा बिजली की खपत भी कम हो जाती हैं| जब वोल्टेज सामान्य से अधिक होता है, तब अधिक करंट इन उपकरणों के माध्यम से प्रवाहित होता हैं, और अगर ऐसा काफी देर तक होता रहे तो निश्चित रूप से अधिक करंट बल्ब या उपकरणों को जलाने (अप्रभावी) करने में सक्षम होगा और तब तक तो वह बिजली का अधिक खपत तो करेगा ही|

अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, जैसे की टीवी, डीवीडी प्लेयर, आदि 230 वाल्ट पर काम नहीं करते हैं| इन उपकरणों में एसएमपीएस (स्विच मोड विद्युत आपूर्ति) नामक एक आंतरिक ‘डिवाइस’ होता हैं, जो 230 वाल्ट को 12 वाल्ट या 24 वाल्ट, (उपकरणों की आवश्यकता के मुताबिक) परिवर्तित कर देता हैं| इसलिए अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को वोल्टेज स्टैबिलिसेर्स की जरुरत नहीं पड़ती हैं| वे न तो कम वोल्टेज से प्रभावित होते है, और न ही उच्च वोल्टेज से उनका कोई नुक्सान होता हैं| इसलिए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती हैं| हालांकि, बाजार में ऐसे कई उत्पाद प्रायः उपलब्ध रहते हैं, इसलिए लोगों को भी ऐसा लगता हैं की अपने उपकरणों की रक्षा करने के लिए शायद हमे इनका इस्तेमाल हमे कर ही लेना चाहिए| परन्तु वास्तविकता यह हैं, की इन उपकरणों को वोल्टेज स्टैबिलिसेर्स से किसी भी सुरक्षा की जरूरत नहीं पड़ती है। न तो इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के द्वारा हुआ बिजली खपत, वोल्टेज उतार-चढ़ाव के साथ बदलता है और न ही इनके उत्पादन (आउटपुट) में इससे कोई परिवर्तन होता है।

पावर सर्ज क्या होता है?

पावर सर्ज, अचानक वोल्टेज या करंट में हुई वृद्धि को कहते है, इस कारण संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण को नुकसान हो सकता है| यह अमूमन शॉर्ट सर्किट या बिजली गिरने/आंधी के कारण होता हैं| स्थानीय बाजार में उपलब्ध सर्ज रक्षक या स्पाइक गार्ड, शॉर्ट सर्किट के खिलाफ की रक्षा कर सकते हैं, परन्तु वह बिजली गिरने/आंधी के कारण हुए नुक्सान को रोकने में असमर्थ होते हैं| हालांकि, मुख्य उपयंत्र जो पावर सर्ज से क्षतिग्रस्त हो जाता है, वह होता हैं – एसएमपीएस| उदाहरण के लिए, लैपटॉप के मामले में, लैपटॉप चार्जर पावर सर्ज के मामले में सबसे पहले क्षतिग्रस्त हो जाएगा, परन्तु लैपटॉप अभी भी सुरक्षित ही रहेगा| उसी प्रकार, टीवी में केवल पावर सर्किट ही क्षतिग्रस्त होगा और बाकि उपयंत्र सुरक्षित रहेंगे|

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