बिजली कटौती या बेरोजगारी का समस्या को लेकर दो मित्रों के बीच संवाद लेखन
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बेरोजगारी का समस्या को लेकर दो मित्रों के बीच संवाद लेखन:
सुनील: अंकुश क्या करे भाई, बेरोजगारी की समस्या बढ़ती ही जा रही है।
अंकुश:हां यार, क्योंकि सरकार हमारे लिए कुछ कर नहीं रही है। का ध्यान हमारी ओर जा ही नहीं रहा। सरकार सिर्फ अपना जेबखर्च भर रही है।
सुनील :बस डिग्री ले के घर पे ही कितना समय हो गया।
अंकुश : हाँ यार मुझे भी सब पूछते है शर्म आती घर पे रह के।
सुनील : सरकारी नौकरी की परिक्षा में भी घोटाला होता है। घर पर सब समझते नहीं बस सुनाते रहते हैं।
अंकुश : मैं न थक चुका हूं और परेशान हो गया हूं, इतना पढ़ लिख के भी घर पे बेले है।
सुनील : मैं भी।
अंकुश :हम कब तक निराश होते रहेंगे।
सुनील : वहीं तो समझ नहीं आ रहा।
अंकुश : पता नहीं कब यह समस्या हल होगी और हमारी चिंता दूर होगी।
सुनील : चिंता करने से कुछ नहीं होना कुछ अपना करने का सोचते है।