Science, asked by harishjpurohit911, 8 months ago

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• बिजली संयत्र से किस तरह का कचरा निकलता हैं ? उतर हिन्दी में ​

Answers

Answered by akshita06092005
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Answer:

Explanation:

भारत के शहरों से प्रतिदिन लगभग 1,50,000 टन ठोस कचरा (एमएसडब्ल्यू) निकलता है जिसमें से केवल 25 प्रतिशत कचरे का प्रसंस्करण किया जाता है। बाकी बचा कचरा या तो खुले में फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है। वर्ष 2030 तक कचरे की यह मात्रा 4,50,000 टन प्रतिदिन हो जाएगी। हमारे शहर इस भारी-भरकम कचरे से किस तरह निपटेंगे? शहरों के लिए योजना बनाने वालों और नीति निर्माताओं ने इस समस्या का आसान हल ढूंढ लिया है और वह यह है कि एमएसडब्ल्यू को कूड़े से बिजली बनाने वाले (डब्ल्यूटीई) संयंत्रों में जला दिया जाए।

Answered by Anonymous
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Explanation:

भारत के शहरों से प्रतिदिन लगभग 1,50,000 टन ठोस कचरा (एमएसडब्ल्यू) निकलता है जिसमें से केवल 25 प्रतिशत कचरे का प्रसंस्करण किया जाता है। बाकी बचा कचरा या तो खुले में फेंक दिया जाता है या जला दिया जाता है। वर्ष 2030 तक कचरे की यह मात्रा 4,50,000 टन प्रतिदिन हो जाएगी। हमारे शहर इस भारी-भरकम कचरे से किस तरह निपटेंगे? शहरों के लिए योजना बनाने वालों और नीति निर्माताओं ने इस समस्या का आसान हल ढूंढ लिया है और वह यह है कि एमएसडब्ल्यू को कूड़े से बिजली बनाने वाले (डब्ल्यूटीई) संयंत्रों में जला दिया जाए।

इसके पीछे यह तर्क है कि कूड़े को अलग-अलग करने के लिए समय और संसाधन बर्बाद करने से अच्छा है कि बिजली और तेल के उत्पादन के लिए इस मिश्रित कचरे को इकट्टा किया जाए और डब्ल्यूटीई संयंत्र में प्रसंस्कृत किया जाए। कंपनियां देशभर के शहरों के लिए इसे कचरे के चमत्कारी समाधान के रूप में पेश कर रही हैं। सरकार ने इस तर्क को स्वीकार कर लिया है तथा डब्ल्यूटीई संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सब्सिडी दे रही हैं जिसमें परियोजना स्थल तक कचरा पहुंचाने के लिए शहरों को वित्तीय प्रोत्साहन और न्यूनतम किराए पर भूमि उपलब्ध कराना शामिल है। ये सब्सिडी डब्ल्यूटीई संयंत्रों की लागत का लगभग 40 प्रतिशत है।

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