बूझत श्याम कौन तू गौरी ।कहां रहती, काकी है बेटी, देखी नहीं कबहूं ब्रज खोरी। प्रस्तुत काव्यांश में रस एवं स्थाई भाव है- *
श्रृंगार - रति
शांत- निर्वेद
करुणा- शोक
अद्भुत- विस्मय
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