(b) किस प्रकार मूल्य सामाजिक अन्त:क्रिया में स्थिरता प्रदान करते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।(पाठ 8 देखें
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Explanation:
मनुष्य की आवश्यकताएं इतनी अधिक हैं कि वह कभी भी पूरी तरह से स्वावलंबी नहीं हो सकता। अपने उद्देश्यों या जरूरतों को पूरी करने के लिए उसे या तो किसी से सहयोग लेना पड़ता है अथवा संघर्ष करना पड़ता है। समाज के अस्तित्व, अनवरतता के लिए ये प्रवृत्तियां आवश्यक होती है। इन प्रवृत्तियो को ही सामाजिक प्रक्रिया कहते हैं।
सामाजिक प्रकियाओं के प्रकार....
लेस्ली ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक प्रक्रियाओं को पांच भागों में विभक्त किया है।
-सहयोग
-समायोजन
-आत्मसातीकरण
-संघर्ष
-प्रतियोगिता
इनमें प्रथम तीन संयोजक प्रक्रियाएं हैं, जबकि अंतिम दो विघटनात्मक प्रक्रियाएं हैं।
सामाजिक प्रकिया व अंत:क्रिया में विभेद...
कुछ समाजशास्त्रियों ने अंत:क्रिया और सामाजिक प्रक्रिया को एक ही अर्थ में प्रयोग किया है, जबकि दोनों अलग-अलग धारणाएं हैं।
सामाजिक अंत:क्रिया की अंत:क्रिया पर आश्रितता...
दरअसल प्रत्येक सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत अन्त:क्रिया पाई जाती है। वहीं प्रत्येक अन्त:क्रिया के अंतर्गत सामाजिक प्रक्रिया नहीं होती। हां अन्त:क्रियाओं का परिणाम ही आगे चलकर सामाजिक प्रकिया के रूप में हो जाता है। जो समाज के अन्य लोगों और पीढिय़ों द्वारा अनुसरित की जाती हैं।
अंत:क्रिया का प्रमुख लक्षण...
अन्त:क्रियाओं के अंतर्गत दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच भाषा या संकेत के माध्यम से भावनाओं को आदान-प्रदान होता है। जब तक कम से कम दो व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित या सांकेतिक रूप से मनोभावों का आदान प्रदान नहीं होता, उसे अन्त:क्रिया नहीं कहा जाएगा।
अंत:क्रिया बनाम भौतिक क्रिया...
जैसे कि वर्षा होने पर छाता खोल लेना, घर से निकलने के पहले जूते पहनना, दूर से किसी पर नजर डालना आदि अंत:क्रियाएं नहीं हैं। क्योंकि इनमें मनोभावों का आदान प्रदान नहीं हुआ है। ये सिर्फ भौतिक क्रियाएं हैं।