Hindi, asked by lovelybh, 5 months ago

(ब) "कोठी मा धान छलक जाए ये जिंदगी फेर चमक जाए' पंक्ति का आशय स्पष्ट
कीजिए?​

Answers

Answered by johankumar896
6

Explanation:

कोठी मा धान छलक जाय ये जिन्दगी फेर चमक जाय पंक्ति का आशय स्पस्ट

Answered by franktheruler
0

कोठी मा धान छलक जाए ये जिंदगी फेर चमक जाए इस पंक्ति का आशय है :

  • यह पंक्ति छत्तीसगढ़ी कविता से ली गई है। इस कविता के कवि है भगवती लाल सेन।
  • इन पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि कोठी अर्थात धान रखने की कोठरी जब धान से भर जाती है तो धान छलकने लगता है अर्थात बाहर आने लगता है। उस वक़्त किसान का चेहरा देखने लायक होता है । वह अति प्रसन्न होता है। वह खुशी से फूले नहीं समाता।
  • उसके घर में उत्सव जैसा माहौल हो जाता है। उसके व घर परिवार के जीवन में खुशियों का आगमन हो जाता है।
  • कवि कहता है कि इसी प्रकार हमें भी अपने मन में नए नए विचारों की फसल उगानी चाहिए।
  • इससे हमारे मन में नए विचार आयेंगे व हमारा जीवन भी खुशियों से भर जाएगा।

#SPJ3

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