"बिकाऊ है कि नहीं?" हामिद ने पूछा
देखता है न यदा नाम की निगाह में सब बराबर हैं।
उदार नहीं कि वह अपना खिलौना किसी को दे दे।
* तो बताते क्यों नहीं कि कितने कार
छह पैसे लगेंगे।"
दुकानों पर धावा बोलते हैं। गांव से आए बच्चे भी पीछे नहीं रहना चाहते।
सिपाही और गुजरिया, राजा और वकील. भिश्ती और
सुनकर हामिद का दिल बैठ गया। पूर
और सेठ-सेठानी, एक सबढ़कर एक सुदर, मानो अब बोलना ही चाहते हो।
"ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेगा लेना
"तीन पैसे में दोगे?" हामिद ने क
महमूद सिपाही लेता है और मोहसिन भिश्ती। नूरे को वकील पसंद आया और
जमा-पूँजी लुटाने को तैयार था। व
धोबिना हामिद दूर खड़ा है। तीन ही पैसे तो हैं उसके पास। हामिद ने कोई खिल्लीन
खिलौनों को देखकर उसके कलेजे पर सांपलोट रहा है. चाहता है कि जरा देर के लिए
खरीदा। वह खुद को समझाता है, "मिट्टी के हो तो हैं, गिर तोचकनाचूरह जाएँ"
हाथ में लेकर देख। वह एक खिलौने की तरफ़ हाथ बढ़ाता है पर खिलोन का मालिक
खिलौनों के बाद मिठाइयों की बारी आई। किसी ने रेवड़ियाँ ली हैं, किसी ने
और किसी ने सोहनहलवा। हामिद ललचाई आँखों से अपने साथियों को खाते दखता रहा
उसे चिढ़ा-चिढ़ाकर खाते रहे। पैसे तो उसकी जेब में भी थे पर वह खिलौनों या मिठाइयो
बैठी
मिठाइयों के बाद लोहे की चीजों और गिलट के गहनों की दुकाने थे। लड़कों के लिए यह
हामि
कोई आकर्षण नहीं था। वे आगे बढ़ गए। हामिद की नज़र लोहे की दुकान में रख चिमटर
जल जाता है। क्यों न चिमटा खरीद लिया जाए! अम्मा चिमटा देखकर खुश हो जाएंगी। उस-
दुकानदार ने उसकी ओर देखा। कोई आदमी साथ न देखकर कहा, "यह तुम्हार कामक
नहीं है जी।"
बृढ़ी
लिए अपना खजाना लुटाने को तैयार न था।
दुकानदार से पूछा, “यह चिमटा कितने का है?"
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यह चिमटा 10 रुपये का है fyijhfyuii
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