Social Sciences, asked by balubendkoli639, 2 months ago

ब) खालील संकल्पना चित्र पूर्ण करा.
स्वराज्य
पक्षाचे नेते

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Answered by redhishbai902
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Answer:

जब ५ फरवरी सन् १९२२ को चौरी चौरा काण्ड हुआ और गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया तो कुछ नेता गांधीजी के इस कदम से बहुत अप्रसन्न हुए। इन नेताओं का विचार था कि असहयोग आन्दोलन को वापस नहीं लिया जाना चाहिये था क्योंकि इस आन्दोलन को आश्चर्यचकित करने वाली सफलता मिल रही थी और कुछ दिनों में यह आन्दोलन अंग्रेजी राज की कमर तोड़ देता। इसके बाद दिसम्बर १९२२ में चित्तरंजन दास की अध्यक्षता में गया में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसमें विधान परिषद में प्रवेश न लेने का प्रस्ताव पारित हो गया। चित्तरंजन दास इस प्रस्ताव के विरोधी थे। उन्होने त्याग पत्र दे दिया।

जनवरी 1923 ई. में इलाहाबाद में चित्तरंजन दास, नरसिंह चिंतामन केलकर और मोतीलाल नेहरू बिट्ठलभाई पटेल ने 'कांग्रेस-खिलाफत स्वराज्य पार्टी' नाम के दल की स्थापना की जिसके अध्यक्ष चित्तरंजन दास बनाये गये और मोतीलाल उसके सचिव बनाये गये।

इस दल का प्रथम अधिवेशन मार्च १९२३ में इलाहबाद में हुआ, जिसमें इसका संविधान और कार्यक्रम निर्धारित हुआ। अपने उदेश्यों की प्राप्ति के लिए स्वराज दल ने निम्नलिखित कार्यक्रम निर्धारित किये-

परिषद् में जाकर सरकारी आय-व्यय के ब्यौरे को रद्द करना,

सरकार के उन प्रस्तावों का विरोध करना जिनके द्वारा नौकरशाही को शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न हो,

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