बाल गोविंद भगत का जीवन परिचय
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बालगोबिन भगत एक कबीर पंथी गृहस्थ साधू थे। ... वे कबीर को अपना साहब मानते थे। उन्ही के गीतों को गाते ,उनकी के आदेशों को मानते। वे कभी झूठ नहीं बोलते ,खरा व्वहार रखते।
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बाल गोबिन भगत कबीर जी का भक्त था। वह साधु प्रवृत्ति का इंसान था। न कभी किसी से झूठ बोलता था न किसी से अधिक बात करता था। वह बहुत पूजा पाठ करता था। कबीर के दोहे गाता रहता था। खेती करता था।
- बाल गोबिन भगत एक गोरा चिट्टा मझली कद काठी का था। उसके सारे बाल सफेद हो चुके थे। वह कमर पर लंगोट बांधता था। सर पर कबीर पंथी टोपी पहनता था।
- उम्र लगभग साठ से ऊपर होगी। वह सर्दियों ने तक कम्बल ले लेता था। माथे पर चंदन टीका लगाता था। वह घर को साफ सुथरा रखता था। कभी किसी से कड़वा नहीं बोलता था। मीठी वाणी बोलता था। उसके यहां खेती से जितनी भी पैदावार होती , सारी फसल कबीर पंथी मठ में दान जाए देता था, वहां से जितना भी मिलता , प्रसाद के रूप में स्वीकार कर लेता तथा उसी से घर चलाता था।
- जवान पुत्र की मृत्यु पर उन्होंने धीरज नहीं खोया। पुत्र के शव के पास बैठकर भजन गाते रहे। बहु से भी रोने के लिए मना किया ।
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