बाल गोविंद भगत ने बेटे का
क्रिया कर्म किससे किया
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बाल गोविंद भगत के पुत्र की चिता को अग्नि बाल गोविंद भगत की पुत्र वधू ने दी थी। इसका कारण यह था क्योंकि बाल गोविंद भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानने वाले व्यक्ति थे। बालगोबिन भगत समाज की उन कुरीतियों या सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे जो उनके विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतरती थीं।
जब बाल गोविंद भगत के पुत्र की मृत्यु हो गई तो उन्होंने सामाजिक परंपराओं के अनुसार अपने पुत्र का क्रिया-कर्म नहीं किया। हिंदू सामाजिक मान्यता के अनुसार मृत शरीर को मुखाग्नि पुरुष के द्वारा दी जाती है और व्यक्ति की मृत्यु होने की स्थिति में व्यक्ति का पुत्र या पिता ही अग्नि देता है, परंतु भगत बाल गोविंद भगत ने अपने पुत्र को मुखाग्नि स्वयं ना देकर अपनी पुत्रवधू से दिलवाई। उन्होंने अपने पुत्र का श्राद्ध-संस्कार बिना किसी कर्मकांड के सादा तरीके से संपन्न किया था।