Hindi, asked by kgangabisht, 10 months ago

बाल गोविंद भगत सन्यासी और गृहस्थ,दोनों का धर्म निभाते थे। तर्क सहित इस कथन के सप्श्ट कीजिए?

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Answered by bhatiamona
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बालगोविन भगत सन्यासी और गृहस्थ,दोनों का धर्म निभाते थे। तर्क सहित इस कथन के सप्श्ट कीजिए?

बालगोविन भगत एक गृहस्थ और साथ वह धर्म को निभाते थे| वह कबीर जी के भक्त थे| वह उनके दिखाए हुए रास्तों में चलते थे| वह कबीर जी के पद इस तरह गाते थे कि की सभी जीवित हो उठे हो| वह कोई भी सामाजिक मान्यताएं नहीं मानते थे को किसी को भी दुःख दे| कबीर के आर्दशों पर चलते थे, उन्हीं के गीत गाते थे।

               वह नर और नारी की सम्मान समझते थे| वह एक गृहस्थ होकर भी साधु का जीवन व्यतीत करते थे| कभी झूठ नहीं बोलते थे| किसी से भी सीधी बात करने में संकोच नहीं करते थे,न किसी से झगड़ा करते थे।

 उनके खेत में जो कुछ पैदा होता उसे एक कबीरपंथी मठ में ले जाते और उसमें से जो हिस्सा ‘प्रसाद’ रूप में वापस मिलता, वे उसी से गुज़ारा करते।  उनमें लालच बिल्कुल भी नहीं था। इस प्रकार वे अपना सब कुछ इश्वर को समर्पित कर देते थे|

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