बालाजी मंदिर तक जाने का रास्ता कहां से होकर जाता था और अमीरुद्दीन को खुशी कब मिलती थी?
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बिस्मिल्ला खां का ही असली नाम अमीरुद्दीन था । उनका बचपन अपने नाना जी के घर काशी में गुजरा |उनके पूर्वज काशी में ही रचे बसे थे । वे हर रोज बालाजी के मंदिर नौबत खाने रियाज़ के लिए जाते थे । उनका यह रास्ता बतूलन बाई और रसूलन बाई के यहां से होकर जाता था | इस रास्ते से जाना अमीरुद्दीन को अच्छा लगता था क्योंकि इसी रास्ते से उन्हें संगीत के तरह-तरह के बोल बनाव, ठुमरी टप्पे तथा दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुंचते रहते थे । रसूलन और बतूलन जब गाती तब उन्हें बहुत खुशी मिलती । एक प्रकार से उनकी अबोध उम्र में अनुभव की क़िताब पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला इन दोनों गायिका बहनों ने ही उकेरी थी । उनके गायन से ही बिस्मिल्ला खां को संगीत के प्रति आसक्ति पैदा हुई |
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