History, asked by rajputmr496, 6 months ago

बेल्जियम में किस प्रकार की सरकार है


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Answered by navya12357
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Answer:

democracy and monarchy

Answered by rut345
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बेल्जियम में नई सरकार बनने पर यूरोप ने राहत की सांस ली है। सरकार बनने में विफलता पर ब्रुसेल्स स्थित यूरोप-हितैषी लोग खासे चिंतित थे। उनका तर्क था कि बेल्जियम यूरोप के लिए ऐसा मॉडल है, जहां तीन क्षेत्र और तीन भाषाई समुदाय (डच, फ्रेंच और जर्मन-भाषी) मिलकर सत्ता चलाते हैं। इसलिए, सवाल उठता है कि यदि छोटा, किन्तु समृद्ध बेल्जियम संघीय शासन चला नहीं सकता तो यूरोपीय यूनियन उसे कैसे चला पाएगी? कलहपूर्ण और बहुराष्ट्रीय बेल्जियम के बार में महत्वपूर्ण यह है कि उसकी शासन प्रणाली यूरोपियन यूनियन के लिए दु:खद विरोधाभास है। वहां की सभी संघीय सरकारें गठबंधन सरकारें होती हैं, जिनमें फ्रेंच और डच-भाषी होने चाहिए, जो भिन्न जिन्दगी जीते हैं। एक हद से ज्यादा समझौता लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए घातक सिद्ध हुआ है। पिछले जून के चुनाव के दो संदेश स्पष्ट हैं। परम्परावादी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स के हाथों सत्ताधारी उदारपंथी फ्लेमिश पार्टियों के मुक्त बाजार समर्थक चुनाव हार गए हैं। भ्रष्टाचार कांडों ने फ्रेंच-भाषियों में समाजवादियों को झटका दिया है। ये दोनों पराजित दल एक नई पांच दलीय गठबंधन सरकार में शामिल हुए हैं। यदि नई सरकार जुलाई तक क्षेत्रों को अधिक अधिकार नहीं सौंपती तो सरकार में शामिल फ्लेमिश बिदककर अलग हो सकते हैं। यह स्थिति एक नया संकट पैदा कर बेल्जियम को विभाजन के कगार के नजदीक पहुंचा देगी। तब पिछले दरवाजे से एक नया समझौता किया जाएगा। बेल्जियम की ये कलहकारी स्थितियांजातीय राष्ट्रवाद के प्रति विरोध के पार जाकर यूरोप को कमजोर बनाती हैं। ‘फॉरन अफेयर्स’ पत्रिका के ताजा अंक के एक लेख में एक भड़काऊ बात कही गई है कि राष्ट्रवाद के बावजूद नहीं, बल्कि उसके बूते ईयू ने 60 साल तक शांति कायम रखी है। इसमें कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका के लेखक जेरी मुलर का तर्क है कि 20वीं शताब्दी में क्रूर नरसंहार और जनता को बाध्य करने के तौर तरीकों से शांति को संभव बनाने में मदद मिली। वह बेल्जियम का उदाहरण देकर कहते हैं कि अब यूरोप की जातीय और राज्य की सीमाएं मेल खाती हैं, जसे- अधिकतर जर्मन लोग जर्मनी में रहते हैं, ग्रीस पर ग्रीक लोगों का वर्चस्व है, आदि। इसने संघर्ष का एक बड़ा कारण दूर कर दिया है। इसलिए, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित शांति जातीय राष्ट्रवाद के लिए पराजय की सूचक नहीं, बल्कि उसकी कामयाबी दर्शाती है। पिछले हफ्ते तक बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुवी वेरहोफ्सटैड्स इसके विपरीत मत प्रकट करते रहे। उन्होंने पहले पैम्फलेट में ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ यूरोप’ की अपील की थी। अब यह तर्क देने के लिए पुस्तक लिखने की योजना बना रहे हैं कि यूरोप प्राकृतिक रूप से ‘कॉस्मोपोलिटन’ है और यह जातीय-राष्ट्रीय विभाजन ‘यूरोप की आत्मा’ के लिए पराया है। वह 1वीं शताब्दी पर मुग्ध हैं, जब जर्मन लोग मध्य यूरोप में फैले थे और महाद्वीप में जीवन को समृद्ध बना रहे थे। हाल में ई यू के सभी 27 सदस्य देशों से कहा गया कि वे 2008 को यूरोपीय अंतर-संस्कृति वार्ता वर्ष के रूप में मनाने के लिए परियोजनाएं बनाएं, जिसमें सांस्कृतिक और भाषायी विविधता का जश्न मनाएं। बेल्जियम में यह तभी संभव है, जब फ्रेंच, डच और जर्मन इसे समान रूप से मनाएं। अन्य शब्दों में, बेल्जियम के भाषायी समुदाय एकाुट रहने के लिए एक महंगी कीमत चुका रहे हैं और उसमें मूर्खतापूर्ण तरीके अपनाए जा रहे हैं। यह कहना उचित होगा कि बेल्जियम की नई सरकार कोई राहत नहीं, बल्कि एक भयानक चेतावनी है। इसमें चिड़चिड़े प्रबुद्ध वर्गो ने मिलकर एक गठबंधन बनाया है और वह सिर्फ अपने प्रति उत्तरदायी है, किसी अन्य के लिए अनुसरण करने का कोई मॉडल नहीं बन सकता। ‘द इकॉनोमिस्ट’ से साभारं
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