बालिका सुरबाला मनोहर के बारे में अपने मन में क्या सोचती थी?
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पतले वाले ने उसे थोड़ा ढाँढस बंधाते हुए कहा कि मित्र कुछ देर और मेहनत से तैरते रहो ज़रूर कुछ देर बाद कोई ना कोई हल निकलेगा|
पतले वाले ने उसे थोड़ा ढाँढस बंधाते हुए कहा कि मित्र कुछ देर और मेहनत से तैरते रहो ज़रूर कुछ देर बाद कोई ना कोई हल निकलेगा|इसी तरह फिर से कुछ घंटे बीत गये, मोटे मेंढक ने अब बिल्कुल उम्मीद छोड़ दी और बोला मित्र मैं अब पूरी तरह थक चुका हूँ और अब नहीं तैर सकता मैं तो डूबने जा रहा हूँ|
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