बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध संकेत बिंदु भूमिका, घर में बाल मजदूरी , उद्योगों में बाल मदूरी , बलमजूदरी के दुस्प्रभव , रोकने के उपाय , उपसंहार
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प्रस्तावना –
बाल मजदूरी एक बच्चे के बचपन के सबसे भयावह दिन होते है. हमारे देश का दुर्भाग्य है कि आज भी मकड़ी के जाल की तरह बाल श्रम छोटे-छोटे बच्चों को पने जाल में जकड़ता जा रहा है और हम सब हाथ पर हाथ धरे हुए बैठे है.
बाल श्रम एक ऐसा दिन में जहर है जोकि चंद रुपयों के लिए बेच दिया जाता है यह जहर धीरे-धीरे बच्चे के बचपन को तबाह कर देता है इसके साथ ही देश का नव निर्माण करने वाला भविष्य भी खत्म हो जाता है.
हमारे भारत में बच्चों को भगवान स्वरूप माना जाता है लेकिन उन्हीं से उनका बचपन छीन लिया जाता है और हाथों में परिवार की जिम्मेदारियां थमा दी जाती है. सभी बच्चों का मन बचपन में खिलौने से खेलने और शिक्षा प्राप्त करने का होता है लेकिन क्या करें साहब कहीं लालच तो कहीं परिवार की जिम्मेदारियां सामने आ जाती है.
बाल श्रम क्या है –
भारत के सविधान 1950 के 24 वे अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है.
2017 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 मिलियन से भी ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते है सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में बाल मजदूरी होती है
बाल श्रम के कारण –
(1) शिक्षा की कमी – बाल मजदूरी का सबसे मुख्य कारण शिक्षा की कमी होना ही है क्योंकि जब तक लोग पढ़े लिखे हुए नहीं होंगे तब तक भी यही मानते रहेंगे की पैसों से बढ़कर कुछ नहीं होता है इसीलिए वे लोग अपने बच्चों को बचपन से ही मजदूरी के काम में लगा देते है.
(2) गरीबी – हमारे देश के लिए गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती है बाल श्रम भी गरीबी के कारण ही उत्पन्न हुई एक समस्या है क्योंकि गरीब परिवार के लोग अपने परिवार का सही-सही भरण पोषण नहीं कर पाते है इसलिए वे अपने बच्चों को भी मजदूरी के काम में झोक देते हैं
(3) अनाथ बच्चे – हमारे देश में आज भी कई लोग अपने बच्चों को या तो छोड़ देते हैं या फिर उनके माता पिता की मृत्यु हो जाती है जिसके कारण भी अनाथ हो जाते हैं और वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ जाते हैं जो कि उन्हें खाने का लालच देकर पूरे दिन भर उनसे कारखानों, होटलों, ढाबों पर कार्य करवाते है और उनकी कमाई भी खुद रख लेते है.
बाल श्रम के दुष्परिणाम –
(1) बचपन बर्बाद होना – जीवन का सबसे अच्छा पल बचपन ही होता है जब हम बच्चे होते हैं तो मैं किसी भी बात की चिंता नहीं रहती है हम खिलौने से खेलते हैं और सभी लोग हमें प्यार करते हैं साथ ही हम जो चाहे पढ़ सकते हैं
(2) कुपोषण – बाल मजदूरी करने वाले बच्चे अक्सर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके मालिक उनसे काम तो ज्यादा करवाते है लेकिन उन्हें खाने को कुछ भी नहीं देते है जिसके कारण उनके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और भी धीरे-धीरे कुपोषण के शिकार हो जाते है.
(3) शारीरिक शोषण
(4) मानसिक प्रताड़ना
(5) गरीबी बढ़ना
(6) देश के आर्थिक विकास कमी
बाल श्रम रोकथाम के उपाय –
(1) जागरूकता – बाल श्रम को अगर रोकना है तो हमें लोगों को जागरूक करना होगा क्योंकि जब तक लोगों में यह जागरूकता नहीं आएगी बच्चों से मजदूरी नहीं करवानी चाहिए और जो भी बच्चे मजदूरी कर रहे है. उनके मालिकों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए लोगों को पता ही नहीं होता है कि वे जिस छोटू, मोटू को प्यार से बुला रहे है.वह असल में बाल मजदूरी का शिकार है. इसलिए जब तक लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक ऐसे ही बच्चे मजदूरी करते रहेंगे.
(2) उचित शिक्षा व्यवस्था – हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था आज भी सुधर नहीं है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों और बिछड़े हुए इलाकों के बच्चे आज भी पढ़ लिख नहीं पाते है जिसके कारण वह बचपन में ही बाल मजदूरी का शिकार हो जाते है इसलिए हमें उचित शिक्षा व्यवस्था सभी स्थानों पर उपलब्ध करवानी होगी और छोटे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी
बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्य –
(1) The Child Labour (Prohibition and regulation) Act 1986 :बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए हमारी सरकार द्वारा 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया है जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना जाएगा.
(2) The Juvenile Justice (Care and Protection) of Children Act of 2000 : इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों से मजदूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर दंड नहीं है कार्रवाई की जाएगी.
उपसंहार –
बाल मजदूरी हमारे भारत देश और हमारे समाज के लिए एक अभिशाप बन चुका है अगर जल्द ही इसे खत्म नहीं किया गया तो यह हमारे देश की तरक्की में बाधक होगा साथ ही जिन बच्चों को बचपन में हंसना खेलना और पढ़ाई करना चाहिए वह बच्चे हमें अधिक मात्रा में कठिन परिश्रम करते हुए मिलेंगे जिसे हमारा देश का भविष्य खराब हो जाएगा.