बाल मनोविज्ञान पर आधारित 100-120शब्दों में एक स्वरचित कहानी लिखिए।
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बाल मनोविज्ञान पर
रमेश नाम का एक लड़का था, वह अपने माता – पिता और एक नौकर के साथ रहता था। वह नौकर कोई २०-बाइस साल का व्यक्ति नहीं, बल्कि एक बाल – मजदूर लड़की थी जो कि दस वर्ष की थी I वह स्कूल नहीं जाती थी और जब रमेश को अपनी टेबल-कुर्सी पर पड़ते देखती तो उसे भी पुस्तके पड़ने की इच्छा होती। रमेश के पापा एक बहुत बड़ी कंपनी ( टाटा ) , का बिज़नस करते थे और वे उस कंपनी के बॉस थे। उनका घर बहुत बड़ा था , जिसमें -एक मंदिर , बगीचा और एक छोटा पुस्तकालय था। इस वजह से रमेश के पास व्यवस्थाओ की कमी नहीं थी जैसे – टी.वी , कंप्यूटर , इंटरनेट आदि। एक दिन जब रमेश के पापा ऑफिस गए तभी चुनावी माहौल के चलते एक नेता रमेश के पापा से उनके घर मिलने आए। वहाँ पर रमेश की माँ ने उनके आने पर मजदूर – लड़की को पानी लाने का आदेश दिया। जब वो लड़की पानी लाई तो नेता जी ने देखा कि उसके कपडे फटे- पुराने थे। उन्होंने रमेश की माता से पूछा कि ” क्या यह लड़की विद्यालय नहीं जाती ?” तो रमेश की माँ ने उत्तर दिया – ” नहीं ! नहीं ! यह तो हमारे घर की नौकर है। ” तभी नेताजी चौकन्ने हो गए और वे पुलिस को फ़ोन करते है। पुलिस रमेश के माता पिता को ” बाल- मजदूरी ” के इलज़ाम में अंदर डाल देती है। नेता जी उस मजदूर लड़की को अपने साथ ले जाते है और उससे पूछते है – ”तुम यहाँ कैसे आई ?” तो वह लड़की कहती है – ” मेरे माता- पिता नहीं है , मेरे मामाजी बहुत गम्भीर बीमारी कैंसर के शिकार है , इसलिए मामी मुझे यहाँ छोड़ गई। तभी नेता जी को दया आ जाती है और वे कहते हैं ” अब से तुम मेरे साथ रहना और तुम भी अध्ययन करने विद्यालय जाओगी और तुम्हारे शिक्षक की फीस मैं भरूंगा। इस तरह सब मौहल्ले वालो को पता चल जाता है कि यह नेता भ्रष्टाचारी नहीं है तो वे सब नेता जी का सम्मान समारोह करते है। एक दिन नेता जी चाय पीते- पीते खिड़की से बाहर झाँक रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक लड़की रो रही है , तो वे अपने घर से बाहर निकले और लड़की से पूछा कि ” तुम क्यों रो रही हो ”I तो उस लड़की ने कहा ” मेरे माता- पिता इस पढ़ने -लिखने की उम्र में शादी करना चाहते है , मगर मुझे अभी पढ़ना है।” नेता जी उस लड़की के माता पिता को जाकर बताते है कि बाल- विवाह एक कानूनी अपराध है। अगर कोई इसे बढ़ावा देता है तो उसे जैल भी हो सकती है। इस तरह लड़की के माता- पिता की आँखे खुल जाती है और वे नेता जी को बहुत धन्यवाद ज्ञापन करते है। शिक्षा – हमारे समाज में कुछ कुरीतियाँ है मगर कुछ नेता जी जैसे सच्चे और ईमानदार नागरिक भी है जो देश को बदल सकते है। * आशा करता हूँ कि आपको कहानी पसंद आएगी।