बोली और भाषा का अंतर स्पष्ट कीजिए
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Explanation:
भाषा और बोली में अंतर स्पष्ट करने के लिए पहले हमें इनकी परिभाषा लिखेगें
भाषा
यदि भाषा की बात की जाये तो ये एक प्रकार का साधन होता है जो आपके अंदर की भावनाओ और विचार को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें हम वाचिक ध्वनि का प्रयोग करते हैं। भाषा मुँह से बोले गए शब्दों और वाक्यों का समूह होता है जिनके द्वारा हम अपनी बात दूसरे को समझा पाते हैं। जब कुछ शाब्दिक ध्वनियों का प्रयोग करके कुछ वाक्यों के समूह को मिलाके जब पूरा एक पैराग्राफ बनता है उसे भाषा कहा जा सकता है।
बोली
किसी भी प्रकार की भाषा क्यों न हो उसका जन्म बोली से ही होता है जब बोली के व्याकरण का मानकीकरण किया जाता है और उस बोली के बोलने या उसे लिखने से कोई अर्थपूर्ण वाक्य बनता है जिसे हम आराम से समझ सकते हैं और बोली जब भावों को समझा पाती है और उसे लिखने से साहित्य का रूप बनता है तो उसे भाषा कहा जाता है। कोई भी बोली हमारे लिए तब अधिक महत्व रखती है जब उसका स्थान साहित्य में, शिक्षा में या समाजिक व्यवहार में कारगर हो। कई सारी बोलियां मिल के ही एक भाषा को उत्तपन्न करती हैं।
बोली और भाषा में अंतर
- शब्दों और वाक्यों के समूहों को भाषा कहते हैं. इन्हे हम बोल के या लिख के समझ या समझा सकते हैं लेकिन कुछ ऐसी मौखिक ध्वनि जिनके साथ शब्द और वाक्य प्रस्तुत होते हैं बोली कहलाती है।
- भाषा को हम लिखित रूप से व्यक्त कर सकते हैं लेकिन कुछ भाषा ऐसी होती हैं जिन्हे हम लिखित रूप में नहीं पाते हैं बोली कहलाती हैं जैसे – भोजपुरी।
- भाषा दो प्रकार की होती हैं मौखिक और लिखित जबकि बोली को हम केवल मौखिक रूप से पाते हैं।
- भाषा की अपनी लिपि होती है जैसे की: हिंदी की देवनागरी, अंग्रेजी की रोमन, पंजाबी की गुरुमुखी, आदि। और यदि बोली की बात की जाए तो वो क्षेत्र विशेष में बोली जाती है और इसमें जो लिपि का उपयोग कर के लिखा जाता है वो उस भाषा की बोली कहलाती है।
- भाषा विस्तृत होती है जबकि बोली स्थानीय होती है
- भाषा का प्रयोग शिक्षा, समाजिक व्यवहार, साहित्य आदि में होता है जबकि बोली को कभी बोलने में उपयोग कर सकते हैं अर्थात बात करने में।
- भाषा में शुद्धता और अशुद्धता का ध्यान रखना होता है जबकि बोली को बोलने के कोई नियम नहीं होते हैं
- भाषा का व्याकरण होता है जबकि बोली का नहीं।