बोली और भाषा में अंतर बताए -
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बोली और भाषा में सामान्य अंतर
बोली और भाषा में सामान्य अंतरभाषा में व्याकरण होता है किंतु बोली में नहीं होता। भाषा की लिपि होती है किंतु बोली कि नहीं होती। भाषा विस्तृत होती है किंतु बोली क्षेत्रीय होती है। भाषा नियमों की मोहताज होती है किंतु बोली नहीं होती।
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भाषा
भाषा वह साधन है जिससे हमारे विचार व्यक्त होते हैं ।इसे लिखने के लिए हम लिपि और बोलने के लिए ध्वनियों का उपयोग करते हैं। इस तरह से भाषा शब्दों और वाक्यों का ऐसा समूह है, जिसे लिख या बोल कर मन की बात बताई जाती है। भाषा एक राष्ट्र और समाज की प्रतिनिधि होती है। भाषा का उपयोग समाज में साहित्यिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, सामाजिक, और प्रशासनिक आदि सभी औपचारिक कार्यों में किया जाता है। भाषा का व्याकरण मानक रूप से मान्यता से प्राप्त होता है।
हिंदी खड़ी बोली का रूप है। 700 वर्ष तक हिंदी एक बोली के रूप में प्रचलित रही थी। तत्पश्चात, इसके व्याकरण के प्रादुर्भाव के बाद यह भाषा में परिवर्तित हो गई।
बोली
उपबोली भाषा का सबसे छोटा स्वरूप होता है और सीमित होता है। यह आमतौर पर व्यक्ति या समाज विशेष पर निर्भर करता है और इसका प्रयोग भी उन पर आधारित होता है। उपबोलियों के समूह से ही बोली बनती है। भाषा का विकास बोलियों द्वारा ही होता है। बोलियों के व्याकरण का शनै-शनै मानकीकरण होता है ।जब बोली लिखने या बोलने वाले उस व्याकरण को ठीक से अनुसरण करते हैं और व्यवहार करते हैं, तब बोली भी सक्षम हो जाती है कि लिखित साहित्य का रूप धारण कर सके और उसे भाषा का स्तर प्राप्त हो जाता है।