बेला और साहिल की दोस्ती पर टिप्पणी लिखें?
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साहिल की पिंडली में की लग जाने पर बेला बहुत दुखी हो जाती है अगले साल अलग-अलग जगह पढ़ने जा रहे हैं यह सोचकर दोनों बहुत चिंतित हो जाते हैं दोनों की दोस्ती अनुपम है
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Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी
October 19, 2019 by Prasanna
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Kerala State Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी (कहानी)
बीरबहूटी Text Book Questions and Answers
बीरबहूटी विश्लेषणात्मक प्रश्न
प्रश्ना 1.
बादल को देखकर घड़े को नहीं ढुलाना चाहिए।’ दुकानदार ने ऐसा क्यों कहा?.
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 1
उत्तर:
साहिल ने स्याही भरवाने का निश्चय किया। तो उसने कलम की बची हुई स्याही ज़मीन पर छिड़क दी। दुकान पहुँचने पर वहाँ स्याही नहीं थी। तब दुकानदार ने ऐसा कहा। कहने का मतलब है- किसी बात पर केवल अंदाज़ा लेकर काम करना ठीक नहीं है। असलियत को पहले पहचानना चाहिए।
प्रश्ना 2.
जब वह उसके पास आकर बैठी उससे नज़र नहीं मिला पाई।’ क्यों?
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 2
उत्तर:
बेला साहिल को बहुत प्यार करती थी। उसके सामने वह लज्जित होना नहीं चाहती थी। लेकिन माटसाब का व्यवहार साहिल की उपस्थिति में था। इससे उसे बहुत दुख हुआ। इसलिए बेला साहिल से नज़र नहीं मिला पाई।
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प्रश्ना 3.
“इन बच्चों को अपने चारों ओर खेलते देखकर गांधीजी की मूर्ति ऐसी दिखाई पड़ती जैसे और समय से कुछ अधिक मुस्करा रही हो।” इसका मतलब क्या है?
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 3
उत्तर:
बच्चे हमेशा बच्चे ही हैं। उन्हें हमेशा खुश रहना चाहिए। उनकी खुशी देखनेवालों को भी खुश रखती है। यहाँ गांधीजी की मूर्ति तक बच्चों की खुशी देखकर मुस्करा रही है।
प्रश्ना 4.
‘यह बारिश से पहले की बारिश का एक दिन था। कहानी के प्रसंग में यह कैसे सार्थक होता है?
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 4
उत्तर:
यहाँ बारिश एक प्रतीक है। उसी प्रकार बादल भी। बेला और साहिल का दुख बादल के समान छाया हुआ है। साहिल की आँखों से पानी बरस रहा है। यहाँ कथाकार ने प्रकृति की रोनी सूरत और बच्चों की रोनी सूरत दोनों को दर्शाया है।
बीरबहूटी Text Book Activities & Answers
बीरबहूटी अभ्यास के प्रश्न
प्रश्ना 1.
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 32
साहिल की आँखें चलती-फिरती खून की प्यारी-प्यारी बूंदें
चलती बीरबहूटियाँ बीरबहूटी की तरह लाल
साहिल के आँसू बीरबहूटी का रंग
साहिल की चोट बारिश की बूंदें
उत्तर:
साहिल की आँखें — बीरबहूटी की तरह लाल
चलती बीरबहूटियाँ — चलती-फिरती खून की प्यारी-प्यारी बूंदें
साहिल के आँसू — बारिश की बूंदें
साहिल की चोट — बीरबहूटी का रंग
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प्रश्ना 2.
प्रत्येक की तुलना किसके साथ की गई है? लिखें।
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 5
i. साहिल की लाल आँखों की तुलना बीरबहूटी से की गई है।
ii. ……………………………………
iii. …………………………………
iv. ………………………………….
उत्तर:
i. साहिल की लाल आँखों की तुलना बीरबहूटी से की गई है।
ii. चलती बीरबहूटियों की तुलना खून की प्यारी बूंदों से की गई है।
iii. साहिल के आँसुओं की तुलना बारिश की बूंदों से की गई है।
iv. साहिल की चोट के रंग की तुलना बीरबहूटी के रंग से की गई है।
प्रश्ना 3.
कहानी की घटनाओं को सूचीबद्ध करें।
Kerala Syllabus 10th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 बीरबहूटी 5
i. गीली ज़मीन पर बेला और साहिल का ब
साहिल बेला का रिपोर्ट कार्ड देख रहा था और बेला साहिल का। आज आखिरी बारी वे एक दुसरे की कोई चीज़ को छूकर देख रहे थे। “तुम्हारी आँख में आँसु क्यों आ रहे हैं बेला?” “मुझे क्या पता।” बेला ने डबडबाई आँखों से हँसते हुए कहा। साहिल की आँखें बीरबहूटी की तरह लाल होने ल
ओह… आज का दिन… मैं कैसे भूलूँ? इतना बुरा दिन जिंदगी में पहली बार आया है। गणित का पीरियड था। क्लास में आते ही माटसाब काँपी जाँचने लगे। कॉपी जाँचते समय मास्टरजी की नज़र मूझ पर पडी। मैं ने तो कॉपी लिखी थी। फिर भी मैं भय से काँप रही थी। बिना कुछ कहे माटसाब मेरे बाल पकड़कर फेंका। सब बच्चों की नज़र मुझपर पड़ी। मेरे भयभीत चेहरे को देखकर साहिल बुरी तरह उट गया था। मुझे ऐसा लगा कि मैं अभि गिरजाऊँगी। कुछ समय के बाद माटसाब ने कॉपी मेरे बैठने के स्थान पर फेंकी और मुझसे बैठने को कहा। मुझे अब भी पता नहीं कि मेरी गलती क्या थी? एसा अनुभव जीवन में कभी नहीं
स्थान
9-3-18 प्रिय मित्र स्मिता नमस्कार तुम कैसे हो? ठीक है न? स्मिता मुझे कल कक्षा में बुरे अनुभव हुआ। गणित का पीरियड माटसाब क्लास में आते ही काँपी जाँचने लगे। काँपी जाँचते समय मास्टरजी की नज़र मुझपर पडी। मैंने तो काँपी लिखी थी, फिर भी मैं भय से काँप रही थी। माटसाब बिना कुछ कहे मेरे बाल पकड़कर फेंका। सब बच्चों की नज़र मुझपर पड़ी। कुछ समय के बाद माटसाब ने काँपी मेरे बैठने के स्थान पर फेंकी और मुझ से बैठने को कहा। मुझे अब भी पता नहीं कि मेरी गलती क्या थी? इतना बुरा अनुभव जिंदगी में कभी नहीं हुआ। स्मिता अभी भी मुझे बहुत दुख है। अगले छुट्टी के दिनों में देखेगा।