ब्लास्ट्यूलेशन का वर्णन कीजिए
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Explanation:
प्रत्येक कशेरुकदंडी अपना जीवन एक संसेचित अंडे के रूप में प्रारंभ करता है। संसेचन की क्रिया अंडे के कोशिकाद्रव्य के भीतर एक शुक्राणु के प्रवेश करने से होती हैं। शुक्राणु का केवल सिर ही कोशिकाद्रव्य के भीतर प्रवेश करता है। यथार्थ शुक्राणु का सिर केवल केंद्रक का ही बना होता है, इसमें कोशिकाद्रव्य की मात्रा बहुत ही कम होती है। अंडे और शुक्राणु के केंद्रक का एक दूसरे से समेकन होता है। संयुक्त केंद्रक के विभाजन के साथ ही कोशिकाद्रव्य का विभाजन भी होता रहता है। संसेचन से दो कार्य सिद्ध होते हैं। एक तो इस क्रिया से नर और मादा के आनुवंशिक पदार्थ एकत्र होते हैं, दूसरे इस क्रिया से अंडे का उद्दीपन होता है जिससे एक संजटिल परंतु समन्वित विधि की एक श्रेणी आरंभ होती हैं, जिसे भ्रूणीय विकास कहते हैं।
८-९ सप्ताह का मानव भ्रूण
युग्मज खंडीभवन योक की मात्रा पर निर्भर रहता है। कम योकवाले या योक रहित अंडे पूर्णभाजित (होलोब्लास्टिक, holoblastic) और योक के प्राचुर्यवाले अंडे अपूर्णभाजित (मेरोब्लास्टिक, meroblastic) होते हैं। सरीसृपों और पक्षियों के अंडे योक से परिपूर्ण के अंडे योक से परिपूर्ण होते हैं। इनमें युग्मज विभाजन की रेखा अंडे के कोशिकाद्रव्य-काय ध्रव (पोल Pole) की सीमा के आगे नहीं पहुँचती। ऐसे जंतुओं में ब्लैस्टीडर्म का विकास योक के ऊपर होता है। ऐंफ़ीबिआ में पूरा युग्मज विभाजित होता है परंतु जंतु ध्रुव (ऐनिमल पोल, animal pole) की अपेक्षा वेजिटल पोल (vegital pole) की कोशिकाएँ अधिक शीघ्रता से विभाजित होती हैं।