Hindi, asked by ananyashikha528, 3 months ago

बाल श्रम पर 150 शब्दों में संवाद in hindi please comment with answer​

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Answered by CTxyz
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किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते है। इसे गैर-जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिये मालिकों द्वारा जबरजस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिये जरुरी संसाधनों की कमी के चलते ये बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते है। हमारे देश के साथ ही विदेशों में भी बाल मजदूरी एक बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में हर एक को जागरुक होना चाहिए।

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। ये एक दबावपूर्णं व्यवहार है जो अभिवावक या मालिकों द्वारा किया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करता है। इसके कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अनुपयुक्त विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से अस्वास्थ्यकर आदि।

इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है। ये किसी बच्चे के नियमित स्कूल जाने की क्षमता को बाधित करता है जो इन्हें समाजिक रुप से देश का खतरनाक और नुकसान दायक नागरिक बनाता है। बाल मजदूरी को पूरी तरह से रोकने के लिये ढ़ेरों नियम-कानून बनाने के बावजूद भी ये गैर-कानूनी कृत्य दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनता जा रहा है तथा जो देश के वृद्धि और विकास में बाधक के रुप में बड़ा मुद्दा है। बचपन जीवन का सबसे यादगार क्षण होता है जिसे हर एक को जन्म से जीने का अधिकार है।

बच्चों को अपने दोस्तों के साथ खेलने का, स्कूल जाने का, माता-पिता के प्यार और परवरिश के एहसास करने का, तथा प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का पूरा अधिकार है। जबकि केवल लोगों( माता-पिता, मालिक ) की गलत समझ की वजह से बच्चों को बड़ों की तरह जीवन बिताने पर मजबूर होना पड़ रहा है। जीवन के हर जरुरी संसाधनों की प्राप्ति के लिये उन्हें अपना बचपन कुर्बान करना पड़ रहा है।

माता-पिता अपने बच्चों को परिवार के प्रति बचपन से ही जिम्मेदार बनाना चाहते है। वो ये नहीं समझते कि उनके बच्चों को प्यार और परवरिश की जरुरत होती है, उन्हें नियमित स्कूल जाने तथा अच्छी तरह से बड़ा होने के लिये दोस्तों के साथ खेलने की जरुरत है। बच्चों से काम कराने वाले माँ-बाप सोचते है कि बच्चे उनके जागीर होते है और वो उन्हें अपने हिसाब से इस्तेमाल करते है। वास्तव में हर माता-पिता को ये समझना चाहिए कि देश के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेदारी है। देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिये उन्हें अपने बच्चों को हर तरह से स्वस्थ बनाना चाहिए।

माता-पिता को परिवार की जिम्मेदारी खुद से लेनी चाहिए तथा अपने बच्चों को उनका बचपन प्यार और अच्छी परवरिश के साथ जीने देना चाहिए। पूरी दुनिया में बाल मजदूरी के लिए मुख्य कारण गरीबी, माता-पिता, समाज, कम आय, बेरोजगारी, खराब जीवन शैली तथा समझ, सामाजिक न्याय, स्कूलों की कमी, पिछड़ापन, और अप्रभावशाली कानून है जो देश के विकास को प्रत्यक्षत: प्रभावित कर रहा है।

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