History, asked by iamlakshya9930, 4 months ago

बोल्शेविक पार्टी को 1917 को खस की क्रांति में क्या हाथ था। please bta do answer​

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Answered by sambhavkumar659
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20वीं सदी के आरंभ में निकोलाई लेनिन, जो सोशल डिमॉक्रेटिक लेबर पार्टी का सर्वाधिक प्रभावशाली नेता था, पार्टी के मुखपत्र इस्क्रा (चिनगारी) का प्रधान संपादक था। पार्टी के द्वितीय अधिवेशन (ब्रूसेल्स और लंदन, जुलाई-अगस्त, 1903) में सदस्यों में फूट पड़ गई और उसके दो भाग बोलशिंस्त्वो बहुमत और मेनशिंस्त्वों (अल्पमत) हो गए। बाद में दोनों बोलशेविक और मेनशेविक कहलाए, जिनका नेतृत्व क्रमश: लेनिन और मार्तोव कर रहे थे। इस समय ट्राट्स्की बड़े ढीले-ढाले तरीके से मेनशेविकों से जुड़ा हुआ था। 1903 की फूट नीति के प्रश्न पर नहीं, अपितु संगठन के प्रश्न पर हुई थी। बाद में दोनों के बीच प्रक्रियात्मक मतभेद भी पनपे। फिर भी, फूट के बावजूद दोनों पक्ष सोशल डेमॉक्रेटिक लेबर पार्टी के अधिवेशनों में भाग लेते रहे। पार्टी के प्राग अधिवेशन (1918) में बोलशेविकों ने एक निर्णयात्मक कदम उठाकर मेनशेविकों को पार्टी से निकाल दिया। बोलशेविकों ने बुर्जुआ वर्ग के विरुद्ध सीधे संघर्ष और सर्वहारा के अधिनायकवाद का नारा दिया था। दूसरी ओर मेनशेविक क्रमिक परिवर्तन और संसदीय तथा संवैधानिक पद्धतियों द्वारा जार की एकशाही समाप्त करने के पक्षपाती थे। मार्च, 1917 में बोलशेविक पार्टी ने अपना संघर्ष छेड़ने की अंतिम घोषणा कर दी। संपूर्ण क्रांति (नवंबर, 1917) के बाद बोलशेविक पार्टी का नाम कम्युनिस्ट पार्टी हो गया और उसके बाद के रूस का इतिहास ही पार्टी का इतिहास है।

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