बाल्यावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
बाल्यावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकता का उल्लेख करते हुए आठ वर्षीय बालक की एक दिन की आहार-तालिका का निर्माण कीजिए।
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धात्री माता पर न सिर्फ स्वयं के अपितु अपने शिशु के पोषण की भी जिम्मेदारी होती है। धात्री अवस्था में माता की समस्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता में वृद्धि हो जाती है। स्तनों में उचित मात्रा में दुग्ध निर्माण तथा स्रावण के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में लौह तत्व की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। धात्री अवस्था में माता को विशेष रूप से तरल भोज्य पदार्थों; जैसे-दूध, छाछ, सूप, फलों का रस का प्रचुर मात्रा में सेवन करना चाहिए।
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negative work is the displacement of the object in the direction of the force are in opposite direction then the work done is called negative work
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