Hindi, asked by yg3178277, 9 days ago

(बाल्यकाले अयं स्वसौन्दर्येण बाललीलया च सर्वेषां जनानां मनांसि अहरत्। कापि गोपिका तम् अङ्के निधाय स्वगृहे नयति, अपरा तं दुग्धं पाययति, अन्या च तस्मै नवनीतं ददाति। श्रीकृष्ण: प्रेम्णा दत्तं दुग्धं पिबति, नवनीतच खादति, अवसर प्राप्य स स्वमित्र: गोपैः सह कस्मिंश्चिद् गृहे प्रविश्य दधि खादति, मित्रेभ्यः ददाति, अवशिष्टं दधि भूमौ पातयति यदा कदा दधिभाण्डं च त्रोटयति। एतत् सर्वं कुर्वतोऽपि तस्य शीलेन सौन्दर्येण च प्रभावित: न कोऽपि तस्मै क्रुध्यति, परं सर्वे तस्मिन् स्निह्यन्ति। hindi mai anuvaad​

Answers

Answered by qaraanali4
1

Answer:

हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार राजा उत्तानपाद की दो रानियों ने दो पुत्रों को जन्म दिया। रानी सुनीति के पुत्र का नाम 'ध्रुव' और सुरुचि के पुत्र का नाम 'उत्तम' रखा गया। पिता की गोद में बैठने को लेकर सुरुचि ने ध्रुव को फटकारा तो माँ सुनीति ने पुत्र को सांत्वना देते हुए कहा कि वह परमात्मा की गोद में स्थान प्राप्त करने का प्रयास करे। माता की सीख पर अमल करने का कठोर व्रत लेकर ध्रुव ने पांच वर्ष की आयु में ही राजमहल त्याग दिया

ध्रुव अपने घर से तपस्या के लिए जा रहे थे रास्ते में उन्हें देवर्षि नारद मिले उन्होंने ध्रुव को"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"का जाप कर के भगवान विष्णु की तपस्या करने को कहा ध्रुव ने नारद जी की बात मानकर एक पैर पर खड़े होकर छह माह तक कठोर तप किया। बालक की तपस्या देख भगवान विष्णु ने दर्शन देकर उसे उच्चतम पद प्राप्त करने का वरदान दिया। इसी के बाद बालक ध्रुव की याद में सर्वाधिक चमकने वाले तारे को नाम ध्रुवतारा दिया गया।

Similar questions